केंद्र 31 तक अधिसूचित करे दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति : हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने साफ किया कि राष्ट्रीय संघ में जैव प्रौद्योगिकी विभाग भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) अन्य संबंधित मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दुर्लभ रोग से पीड़ित मरीजों को इलाज उपलब्ध कराने के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को 31 मार्च तक अंतिम रूप देकर इसे अधिसूचित करें। इसके साथ ही अनुसंधान, विकास और चिकित्सा विज्ञान (एनसीआरडीटी) के लिए एक राष्ट्रीय संघ की स्थापना कर वित्तीय वर्ष 2021-22 में इसके लिए बजट बढ़ाने पर विचार करें।
एम्स में बने समिति
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल व अन्य की तरफ से याचिका दायर कर दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चों व अन्य लोगों का इलाज कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इस पर सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि इसके लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक समिति बनाई जाए। इन बीमारियों के लिए अलग से एक कोष भी बनाया जाए।
कौन-कौन हो सकते हैं इसमें शामिल
पीठ ने साफ किया कि राष्ट्रीय संघ में जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर), ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) अन्य संबंधित मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया जाना चाहिए।
अगली सुनवाई 19 अप्रैल को
इस संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दाखिल किया गया हलफनामा और कोर्ट द्वारा गठित की गई विशेषज्ञों की रिपोर्ट इससे जुड़ी नीति का हिस्सा बनेंगे। इस नीति को अदालत के समक्ष पेश करना होगा और याचिकाकर्ता निर्देशों के संबंध में समिति के संबंध में पक्ष रखेंगे। मामले में अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। इससे पहले अदालत ने विभिन्न पहलुओं पर समाधान का आकलन करने और खोजने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
एम्स में गठित होगी दुर्लभ रोग समिति
दुर्लभ बीमारियों के आवेदनों की जांच के लिए एम्स में दुर्लभ रोग समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति दुर्लभ बीमारियों के उपचार और वित्त पोषण का आवेदन के चार सप्ताह में निर्णय लेगी। इसके साथ ही पीठ ने निर्देश दिया कि बीते तीन साल में दुर्लभ बीमारियों के लिए आंवटित किए गए अव्यवस्थित बजट को तत्काल दुर्लभ बीमारियों के कोष में स्थानांतरित किया जाए। अब इसका प्रबंधन, देखरेख और उपयोग नोडल एजेंसी एम्स द्वारा किया जाएगा।सीधे कोष में जाएगी क्राउड फंडिंग क्राउड फंडिंग के लिए नीति के तहत सृजित किए गए डिजिटल प्लेटफार्म दुर्लभ बीमारियों के कोष से जोड़े जाएंगे। इससे जो भी व्यक्ति या कंपनियां इसमें योगदान करना चाहेंगी , वे इसमें प्रत्यक्ष रूप से योगदान कर सकेंगी।