अनिश्चित है कोरोना महामारी का आकार, सभी प्रक्रियाओं के स्थायी विकल्प की दरकार
महामारी की अवधि अनिश्चित है। दूसरी लहर के बाद तीसरी और फिर न जानें कितनी लहरें। ऐसे में इस आपदा के साथ हमें जीने को अभ्यस्त होना पड़ेगा और इस क्रम में बाधित होने वाली सभी प्रक्रियाओं का स्थायी विकल्प तलाशना ही होगा।
अंशु सिंह। देश की अधिकांश एजुकेशन टेक्नोलाजी (एडुटेक) कंपनियां जब स्कूल या कालेज शिक्षा पर फोकस कर रही हैं, वैसे में श्रीनिवासा अड्डेपल्ली ने लीडरशिप कैपेबिलिटी डेवलपमेंट सíवस के क्षेत्र में कदम रखा और नींव पड़ी बीटुबी कंपनी ‘ग्लोबल ज्ञान एकेडमी’ की। यह कंपनी कारपोरेट एवं मैनेजर्स के साथ मिलकर काम करती है। वहीं, तीन वर्ष पहले शुरू हुए इनके डिजिटल प्लेटफार्म से पेशेवर लोग विभिन्न कोर्सेज के जरिए अपने करियर को ग्रोथ दे सकते हैं। यहां उन्हें इंडस्ट्री के लीडर्स से सीधे मेंटरिंग एवं ट्रेनिंग हासिल करने का अवसर मिलता है।
कंपनी के संस्थापक एवं सीईओ श्रीनिवासा कहते हैं कि वर्ष 2015 में कंपनी की स्थापना के बाद से अब तक 16 हजार से अधिक प्रोफेशनल्स को लीडरशिप, बिजनेस एवं अन्य स्किल्स में ट्रेन किया गया है। रतन टाटा, मार्केटिंग एवं स्ट्रेटेजी के वरिष्ठ प्रोफेसर, पद्मभूषण डा. जगदीश सेठ एवं देश-विदेश के कई बिजनेस लीडर्स ने कंपनी में निवेश किया है। हालांकि, मैं मानता हूं कि जब आप टीम पर विश्वास करते हैं, तो आपको बेहतरीन रिजल्ट भी मिलते हैं, इसलिए मैंने अपनी टीम को इनोवेट करने की पूरी आजादी दी है।
श्रीनिवासा की कारपोरेट की नौकरी अच्छी चल रही थी, लेकिन कुछ अलग करने की ख्वाहिश भी थी। हालांकि उन्होंने सोचा नहीं था कि एंटरप्रेन्योरशिप में ही जाएंगे। नौकरी छोड़ने के दो-तीन साल बाद इन्होंने उद्यमिता की ओर रुख किया। इसमें भी शिक्षा के क्षेत्र को चुना, क्योंकि उसमें सुधार की काफी गुंजाइश नजर आई। विशेषकर पेशेवर एवं व्यावसायिक शिक्षा में गंभीर कार्य करने की जरूरत महसूस की। वह बताते हैं, ‘मैंने देखा था कि कैसे इंडस्ट्री के शीर्ष पदों पर सेवाएं देने वाले अधिकतर लोग शैक्षणिक कार्यो से जुड़ नहीं पाते हैं, चाहे वह फाइनेंस के एक्सपर्ट हों या फिर मार्केटिंग या एचआर के। तब मैंने सोचा कि क्यों न ऐसे लोगों को शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ा जाए, जिससे कि वे नई पीढ़ी को इंडस्ट्री के अनुरूप बेहतर तरीके से विकसित कर सकें। इसी के बाद ग्लोबल ज्ञान एकेडमी की शुरुआत हुई। पहले हम आफलाइन क्लासेज लेते थे। आज सब डिजिटल हो चुका है। हमारे मोबाइल एवं वेब एप के जरिये कैंडिडेट्स को इंटरैक्टिव कंटेंट एवं पर्सनल कोचिंग की सुविधा मिल रही है।’
स्टूडेंट्स से लेकर कारपोरेट मैनेजर्स को ट्रेनिंग: श्रीनिवास कारपोरेट क्लाइंट्स के लिए भी लर्निग प्रोडक्ट तैयार करते हैं। ये पूरी तरह से डिजिटल कोर्सेज या वर्चुअल क्लासरूम्स होते हैं, जिन्हें इंडस्ट्री के उच्च श्रेणी के प्रोफेशनल्स एवं एक्सपर्ट्स कंडक्ट करते हैं। इंडिविजुअल पेशेवर भी इनदिनों इन कोर्सेज में रुचि ले रहे हैं। जूनियर, मिडिल एवं सीनियर लेवल के मैनेजर्स के लिए इन स्पेशलाइज्ड एवं इंटरैक्टिव कोर्सेज को तैयार करने में इंडस्ट्री के अनुभवी लोग मदद करते हैं। बीते वर्ष हमने 50 से अधिक कोर्सेज तैयार किए थे। इस वर्ष भी नये कोर्सेज लांच करने की योजना है। उम्मीद है कि साल के अंत तक 100 कोर्सेज उपलब्ध हो जाएंगे।
दूसरों से कुछ सीखने के लिए जरूरी है विनम्रता: श्रीनिवासा मानते हैं कि कोविड ने स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की ग्रोथ को काफी हद तक प्रभावित किया है। लेकिन बीते 15 महीने में हमारी कंपनी ने जिस तरह से ग्रो किया है, उससे भविष्य के लिए उम्मीद बनी हुई है।
सूरत के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट एवं आइआएम अहमदाबाद से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट करने वाले श्रीनिवासा खुद भी आइआइएम अहमदाबाद, एनएमआइएमएस, टीएपीएमआइ, आइआइएम नागपुर एवं आइआइटी हैदराबाद में विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वह कारपोरेट मैनेजमेंट टीम के साथ काम करते हैं। इसके अलावा, 2013 तक श्रीनिवास टाटा कम्युनिकेशंस में चीफ स्ट्रेटेजी आफिसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वह बताते हैं, ‘मुङो टाटा ग्रुप के चेयरमैन के दफ्तर में भी काम करने का अवसर मिला है। उनसे बहुत कुछ सीखा है। सबसे बड़ी सीख मिली है विनम्रता की। आप कितने भी ज्ञानी, धनवान हों, लेकिन अगर विनम्र नहीं हैं, तो आप किसी दूसरे से कभी कुछ सीख नहीं सकते।
[श्रीनिवासा संस्थापक एवं सीईओ ग्लोबल ज्ञान]