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CBSE 12th Result: दंगों की आग नहीं जला सकी परीक्षार्थियों का मुस्तकबिल

ब्रजपुरी रोड पर बने अरुण माॅर्डन पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल को दंगाईयों ने जलाकर राख कर दिया था। वहीं स्कूल के विद्यार्थियों ने 90 फीसद परिणाम दिया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 10:10 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 07:11 AM (IST)
CBSE 12th Result: दंगों की आग नहीं जला सकी परीक्षार्थियों का मुस्तकबिल
CBSE 12th Result: दंगों की आग नहीं जला सकी परीक्षार्थियों का मुस्तकबिल

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। उत्तरी-पूर्वी जिले में एनआरसी और सीएए के मुद्दे को लेकर भड़की आग देखते ही देखते कब सांप्रदायिकता में तब्दील हो गई किसी को पता ही नहीं चला। भेल ही इस दंगे ने सैकड़ों मकानों व दुकानाें काे जला दिया हो, लेकिन 12वीं कक्षा के परीक्षार्थियों के मुस्तकबिल भविष्य को न जला सकी। इसकी बानगी दंगा प्रभावित इलाकों के कई स्कूल हैं, जिन्होंने 100 फीसद परिणाम देकर दंगाईयों के मुंह पर तमाचा मारा है।

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दंगाइयों ने जला कर राख कर दिया था स्‍कूल

ब्रजपुरी रोड पर बने कांग्रेस के पूर्व विधायक भीषम शर्मा के अरुण माॅर्डन पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल को दंगाईयों ने जलाकर राख कर दिया था, स्कूल के विद्यार्थियों ने 90 फीसद परिणाम दिया है। परीक्षार्थियों ने साबित कर दिखाया कि दंगाई किताबें तो जला सकते हैं, लेकिन उनके दिमाग में सुरक्षित हुए अक्षरों को मिटा नहीं सकते।

दंगों के बीच दिया साहस का परिचय

राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय यमुना विहार बी-2 स्कूल ने गत चार वर्षों तक सौ फीसद परिणाम दिया था, इस बार दंगों की वजह परिणाम 98.6 रहा। परीक्षार्थियों व एसएमसी कमेटी के सदस्यों का कहना है दंगों के बीच साहस का परिचय देते हुए, बहुत अच्छा परिणाम दिया है। वहीं शिवाजी पार्क स्थित लिटिल फ्लावर पब्लिक स्कूल ने भी 100 फीसद परिणाम दिया। दंगा प्रभावित स्कूलों में जश्न का एक अलग ही माहौल है।

पिता बेचते हैं सब्जी, बेटी ने जीता दिल

यमुना विहार में ठेले पर सब्जी बेचने वाले मनोहर लाल की बेटी मोनी ने 12वीं कक्षा में 96.4 फीसद नंबर लाकर सबका दिल जीत लिया है। मोनी अपने परिवार के साथ दंगा प्रभावित इलाका चांद बाग में रहती हैं। वह राजकीय कन्या विद्यालय बी-2 की छात्रा हैं। 12वीं की पहली परीक्षा दंगों के साए में दी, दंगों में जो कुछ देखा उसे देख कलेजा मुंह को आ गया। बच्ची का जीवन बर्बाद न हो जाए, पिता ने मोनी को अपनी जान पर खेलकर दंगाइयों से बचाते हुए संगम विहार में रहने वाली उसकी बुआ के घर पहुंचाया। मोनी ने कहा कि वह उस दर्दनाक मंजर को कभी नहीं भूल सकती, जीवन में पहली बार उस खौफनाक मंजर को देखा। वो भी उस वक्त में जब उनके जीवन का अहम पड़ाव था। उन्होंने कहा कि उन्होंने दंगों के असर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और मेहनत करती रही। जिसका फल परिणाम में मिला। मोनी ने बताया कि वह शिक्षक बनना चाहती है।


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