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Career In Pathology: पैथोलॉजिस्ट बनकर मेडिकल के क्षेत्र में जॉब्स के बढ़ रहे मौके, आकर्षक सैलरी

किसी भी रोग की सही-सटीक पहचान के लिए विभिन्न तरह की जांचों (रक्त थूक-लार मूत्र आदि के जरिए) की जरूरत होती है। इस तरह की जांच लेबोरेटरी में कुशल पैथोलाजिस्ट की देखरेख में होती है। समुचित जांच करने और उससे निकले निष्कर्षों को वही प्रमाणित करते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 04:36 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 04:40 PM (IST)
Career In Pathology: पैथोलॉजिस्ट बनकर मेडिकल के क्षेत्र में जॉब्स के बढ़ रहे मौके, आकर्षक सैलरी
कोविड की जांच बेतहाशा बढ़ने से पैथोलाजिस्ट की मांग लगातार बढ़ रही है...

नई दिल्‍ली, जेएनएन। इन दिनों पैथोलाजिस्ट कोविड संक्रमण के जोखिम के बावजूद अस्पतालों और पैथोलाजी सेंटर में विभिन्न तरह की जांचों में अपना सक्रिय सहयोग दे रहे हैं ताकि हर मरीज के नमूने की सटीक जांच होसके और उसके आधार पर उसे सही उपचार मिल सके। आम दिनों में भी जब कभी तबीयत खराब होने पर हम डॉक्टर के पास जाते हैं, तो मर्ज की सही पहचान के लिए डॉक्टर सबसे पहले हमसे जांच (ब्लड टेस्ट, शुगर टेस्ट, यूरिन टेस्ट, फ्लूइड टेस्ट इत्यादि) कराने के लिए कहते हैं, जिसकी जांच लैब्स में यही पैथोलाजिस्ट करते हैं। आमतौर पर इनके द्वारा प्रमाणित टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर ही डॉक्टर आगे सही उपचार शुरू करते हैं।

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हाल के वर्षों में तरह-तरह के टेस्ट विकसित होने से इनके माध्यम से पैथोलाजिस्ट को आसानी से शरीर में रोगों के साक्ष्य का पता लग जाता है। हालांकि इससे इतर कई बार रेडियोलाजी की जरूरत भी होती है, जिसके तहत सीटी स्कैन, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी जैसे सूक्ष्मतम टेस्ट किये जाते हैं, जिसका विश्लेषण रेडियोलाजिस्ट द्वारा किया जाता है। इस तरह से किसी भी रोग के इलाज के लिए पैथोलाजिस्ट और रेडियोलाजिस्ट दोनों की जरूरत होती है। कुल मिलाकर, शरीर के अंदर सूक्ष्मतम स्तर पर क्या-क्या ऐसे परिवर्तन हो रहे हैं, जो नहीं होने चाहिए, उसकी पहचान इन पैथोलाजिकल टेस्ट की मदद से समय से हो जाती है। ऑनलाइन कामकाज बढ़ने से पिछले कुछ वर्षों से सभी तरह के पैथोलाजिकल टेस्ट अब घर बैठे भी संभव हो जा रहे हैं। बड़े पैथोलाजी सेंटर्स के प्रशिक्षित सहायक घरों से नमूने लेकर लैब तक पहुंचा देते हैं और अमूमन उसी दिन शाम को या दूसरे दिन ऑनलाइन रिपोर्ट उपलब्ध हो जाती है।

बढ़ रही जॉब संभावनाएं: स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से लोग अब अपनी सेहत को लेकर पहले से ज्यादा सचेत रहने लगे हैं। दूसरी ओर, बढ़ती उम्र और बदलती जीवन शैली से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गुर्दे और ह्दय से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं जिसके कारण डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए अब पैथोलाजी लैब्स पर निर्भरता पहले से ज्यादा देखी जा रही है। कोरोना संकट के बाद माना जा रहा है कि गुणवत्तायुक्त सही उपचार के प्रति लोग अधिक सजग हो जाएंगे। जाहिर है इससे आने वाले वर्षों में सरकारी और निजी क्षेत्र में वर्तमान अस्पतालों के अलावा लगातार नये अस्पताल खुलने से लैब्स की तादाद भी बढ़ेगी। ऐसे में रोगों की जांच के लिए पैथोलाजी में कुशल प्रोफेशनल्स की भी काफी आवश्यकता पड़ेगी।

फिलहाल एक क्वालिफाइड पैथोलाजिस्ट के पास अभी भी करियर की बेहतर संभावनाएं हैं। पैथोलाजिस्ट के रूप में आप अस्पतालों और पैथोलाजी सेंटर के लैब्स में अपनी सेवाएं देने के अलावा, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक के रूप में, शोधकर्ता के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। कुशल पैथोलाजिस्ट की आवश्यकता राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, रेलवे व सशस्त्र सेनाओं के अस्पतालों के पैथोलाजी केंद्र, ब्लड बैंक तथा खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसी जगहों पर भी काफी देखी जा रही है। दवा निर्माता तथा जैव प्रौद्योगिकी कंपनियां भी अपने यहां पैथोलाजिस्ट की नियुक्ति करती हैं। इतना ही नहीं, समुचित पढ़ाई के बाद आप खुद की डायग्नोस्टिक लैब भी खोल सकते हैं।

कोर्स एवं शैक्षिक योग्यता: पैथोलाजी में करियर बनने के लिए फिजिक्स, कमेस्ट्री तथा बायोलॉजी के साथ साइंस बैकग्राउंड होना आवश्यक है। पैथोलॉजी में कई तरह के कोर्स कराये जा रहे हैं, जैसे एमबीबीएस करने के बाद पैथोलाजी में दो वर्षीय एमडी कर सकते हैं। इसी तरह, ग्रेजुएशन के बाद दो वर्षीय एमएससी मेडिकल टेक्नोलॉजी इन पैथोलॉजी का कोर्स किया जा सकता है। इसके अलावा, ग्रेजुएशन (पीसीबी) के बाद पैथोलाजी में एक वर्षीय र्सिटफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं। यह कोर्स करने के बाद युवाओं को पैथोलाजी लैब्स, ब्लड बैंक या दूसरे नैदानिक संस्थानों में सहायक के रूप में काम करने का अवसर आसानी से मिल जाता है। इसी तरह, क्लीनिकल पैथोलाजी कोर्स के रूप में कई संस्थान छह माह की अवधि का र्सिटफिकेट कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं, जिसमें छात्रों को क्लीनिकल पैथोलाजी के प्रशिक्षण के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित बेसिक जानकारी भी दी जाती है।

आकर्षक सैलरी: आज के समय में तमाम ऐसे सरकारी और निजी अस्पताल हैं, जो एमडी पैथोलाजिस्ट को लाखों में सैलरी दे रहे हैं। पैथोलाजिस्ट के सहायक के रूप में 25 से 30 हजार रुपये तक सैलरी आसानी से मिल जाती है, जो अनुभव बढ़ने पर हर महीने 50 हजार रुपये तक हो सकती है। अगर आप क्वालिफाइड पैथोलाजिस्ट हैं, तो खुद की पैथोलाजी लैब खोलकर हर महीने लाखों कमा सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

एम्स, नई दिल्ली www.aiims.edu

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली www.mamc.ac.in

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली https://ucms.ac.in

बीएचयू, वाराणसी www.bhu.ac.in

पैथोलाजी में बहुत सारे करियर विकल्प: दिल्ली के जेनसट्रिंग्स डायग्नोस्टिक सेंटर की लैब प्रमुख डा. अल्पना राजदान ने बताया कि इन दिनों आरटीपीसीआर के साथ-साथ दूसरे पैथोलाजी टेस्ट भी बड़ी संख्या में हो रहे हैं। जांचों से ही शरीर में संक्रमण के स्तर का पता चल पाता है। इसलिए पैथोलाजी की भूमिका हमेशा से ही रही है। कोविड के बाद जांच की जरूरत को देखते हुए बहुत से नये पैथोलाजी लैब्स भी खुल रहे हैं। इसलिए इस फील्ड में करियर के बहुत सारे विकल्प हैं। कुल मिलाकर यहां युवाओं के लिए जॉब्स की कोई कमी नहीं है।


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