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कृषि कानूनों की वापसी के बाद कुंडली बार्डर पर बुझा कैलिफोर्निया चूल्हा, चल रहा था सबसे बड़ा लंगर

Kisan Andolan कुंडली धरना स्थल पर चल रहा सबसे बड़ा लंगर किसान आंदोलन खत्म होने से पहले ही बंद हो गया है। कैलिफोर्निया चूल्हे के संचालक सामान समेटकर धरना स्थल से चले गए हैं। कैलिफोर्निया के संगठन की मदद से धरनास्थल पर सबसे बड़ा लंगर चल रहा था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 01:45 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 03:49 PM (IST)
कृषि कानूनों की वापसी के बाद कुंडली बार्डर पर बुझा कैलिफोर्निया चूल्हा, चल रहा था सबसे बड़ा लंगर
कुंडली बार्डर पर लंगर तैयार करते और लंगर छकते लोग। जागरण आर्काइव

नई दिल्ली/सोनीपत [नंद किशोर भारद्वाज]। कुंडली और टीकरी बार्डर के धरनास्थल पर चल रहे सबसे बड़े लंगर किसान आंदोलन खत्म होने से पहले ही बंद हो गए हैं। यह लंगर पूरे एक साल चले। अब आंदोलन खत्म होने की उम्मीद जगने पर अप्रवासी भारतीय डाक्टरों के समूह ने लंगर बंद कर दिए और सामान समेटकर धरनास्थल से चले गए। कैलिफोर्निया के डाक्टराें संगठन कुंडली और टीकरी बार्डर पर दो लंगर चला रहा था। इन लंगरों में रोजाना दस हजार लोग खाना खाते थे।

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सात एनआरआइ डाक्टर मिलकर कुंडली और टीकरी बार्डर पर लंगर चला रहे थे। इस संगठन में पांच डाक्टर पंजाब के, एक अंबाला और एक कैलिफोर्निया का डाक्टर शामिल था। संगठन को हार्ट स्पेशलिस्ट डा. स्वमन सिंह चला रहे थे।

लंगर में खाना खाने वाले प्रदर्शनकारियों ने बताया कि डाक्टरों के इस समूह ने कुंडली और टीकरी बार्डर पर पिछले साल तीन दिसंबर को लंगर शुरू किया था। लंगर चलाने का खर्चा सातों एनआरआइ डाक्टर वहन करते थे। यह लंगर पूरे एक साल चला। दो दिसंबर की शाम को कुंडली और टीकरी बार्डर से एकसाथ इन लंगरों को बंद कर दिया गया। ट्रकों में सामान भरकर धरनास्थल से चले गए।

दो महीने से कम लोग रह गए थे

आंदोलनकारियों ने बताया कि जब आंदोलन चरम पर था तब लंगर में पांच-पांच हजार लोग रोजाना खाना खाते थे। दो माह पहले तक यहां करीब छह-सात सौ लोग खाना खाने आते थे। अब आंदोलन में लोगों की संख्या कम रह गई लेकिन पिछले दो माह से करीब सौ-सौ लोग सुबह-शाम खाना खाते थे। कई बार आसपास के किसान भी ट्राली भरकर सब्जियां और अन्य सामान दे जाते थे।

खाना खाने वालों ने बताया कि आंदोलन खत्म होने की उम्मीद और धरनास्थल पर लोगों की संख्या घटने के रहने के कारण इन लंगरों को बंद किया गया है। लंगर के संचालक ने गुरुवार को सारा सामान पैक कर ट्रैक में लदवा दिया और धरनास्थल से चले गए।

रजाइयां और कंबल निकाले

दो दिन से बदले मौसम के कारण ठंड बढ़ गई है। प्रदर्शनकारियों ने भी ठंड से बचाव के इंतजाम शुरू कर दिए हैं। कई प्रदर्शनकारियों ने बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए अपनी झोपड़ियों की छत पर वाटर प्रूफ तिरपाल और कइयों ने टिन शेड डालकर पहले ही बचाव के इंतजाम कर लिए हैं।बुजुर्ग किसानों ने रजाइयां और भारी कंबल निकाल लिए हैं। जो किसान जाने की तैयारी में हैं उन्होंने अपनी झोपड़ी से पराली आदि हटा दी है।


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