1997 Uphaar fire tragedy case: अंसल बंधुओं ने 7-7 साल की सजा को निचली कोर्ट में दी चुनौती
सुशील अंसल और गोपाल अंसल के अलावा एक अन्य दोषी ने मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी सजा को 7 साल की जेल की सजा को चुनौती देते हुए सत्र न्यायालय में अपील दायर की। गौरतलब
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। व्यवसायी सुशील अंसल और गोपाल अंसल के अलावा एक अन्य दोषी ने मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी सजा को 7 साल की जेल की सजा को चुनौती देते हुए सत्र न्यायालय में अपील दायर की। गौरतलब है कि 3 जून, 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के दोषी रियल एस्टेट कारोबारी सुशील और गोपाल अंसल को सात साल कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों पर 2.25-2.25 करोड़ रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य महानगर दंडाधिकारी डा. पंकज शर्मा ने अपने पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा के अलावा पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी सात साल जेल और तीन-तीन लाख रुपये जुर्माना भरने की सजा सुनाई है।वहीं, इस मामले के ट्रायल के दौरान आरोपित हर स्वरूप पंवार और धर्मवीर मल्होत्र की मौत हो गई थी।
अदालत ने कहा कि न्यायपालिका की नींव विश्वास और लोगों के भरोसे पर टिकी है। इस नींव को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे सख्ती से निपटने की जरूरत है। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले का संबंध सिर्फ सजा से नहीं है, बल्कि इस मामले में सजा समाज की पुकार सुनकर सुनाई जानी चाहिए।
डा. पंकज शर्मा (मुख्य महानगर दंडाधिकारी, पटियाला हाउस कोर्ट) ने कहा था कि गलत सहानुभूति या अनुचित उदारता जनता को संस्थागत अखंडता पर संदेह करने का मौका देगी और इसकी साख को प्रभावित करेगी। अपर्याप्त सजा न्याय प्रणाली को और अधिक नुकसान पहुंचाएगी। कानून की प्रभावशीलता में जनता के विश्वास को कमजोर करेगी, क्योंकि समाज न्याय प्रणाली पर इस तरह के हमलों को लंबे समय तक सहन नहीं करेगा।
अग्निकांड मामले में भी दोषी पाए गए थे अंसल बंधु
ग्रीन पार्क इलाके में स्थित उपहार सिनेमाघर में बार्डर फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। 20 नवंबर, 2007 को लंबी सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने 12 आरोपितों को सजा सुनाई। अंसल बंधुओं को लापरवाही से मौत सहित अन्य धाराओं में सजा सुनाई गई। इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुशील व गोपाल को दो साल की सजा सुनाई थी, लेकिन उनकी उम्र व जेल में बिताए गए समय को ध्यान में रखते हुए 30-30 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना देने की शर्त पर रिहा कर दिया था।