दिल्ली में मुख्य सचिव पद के लिए नौकरशाही में गरमाहट तेज
पिछले कुछ माह से इस पद को लेकर सुगबुगाहट थी मगर अब इस पद पर तैनात वरिष्ठ आइएएस विजय देव द्वारा जनवरी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की घोषणा ने इस पद की दौड़ में शामिल नौकरशाहों के लिए रास्ता खोल दिया है।
नई दिल्ली [वी. के. शुक्ला]। दिल्ली के मुख्य सचिव पद पर नियुक्ति की चर्चा ने नौकरशाही में गरमाहट बढ़ा दी है। पिछले कुछ माह से इस पद को लेकर सुगबुगाहट थी, मगर अब इस पद पर तैनात वरिष्ठ आइएएस विजय देव द्वारा जनवरी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की घोषणा ने इस पद की दौड़ में शामिल नौकरशाहों के लिए रास्ता खोल दिया है। इस पद के लिए सभी ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास करना शुरू कर दिया है।
केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली में एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) से आइएएस ही नियुक्त हो सकते हैं। इस कड़ी में नरेश कुमार सबसे वरिष्ठ माने जा रहे हैं। वह विजय देव के समकक्ष 1987 बैच के आइएएस हैं। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद में चेयरमैन रहे हैं। इस समय अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव हैं। पिछली बार 2018 में भी दिल्ली के मुख्य सचिव के चले नामों में वह प्रमुख दावेदार थे।
उनके बाद 1988 बैच के तीन आइएएस इस दौड़ में हैं। इनमें प्रमुख नाम रेणु शर्मा का है। रेणु शर्मा इस समय मिजोरम की मुख्य सचिव हैं। कुछ समय पहले तक ही दिल्ली सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव रही हैं। इनके अलावा सत्यगोपाल भी 1988 बैच के आइएएस हैं। वह इस समय दिल्ली सरकार में ही अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं। इसी बैच में तीसरा नाम चेतन सांघी का है। सांघी दिल्ली सरकार में वित्तीय आयुक्त हैं।
वहीं 1989 बैच के भी दो आइएएस इस दौड़ में हैं। इनमें दिल्ली सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के गुप्ता और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के चेयरमैन धर्मेंद्र कुमार का नाम लिया जा रहा है। हालांकि इन सब से अधिक वरिष्ठ दो आइएएस भी दिल्ली के मुख्य सचिव की दौड़ में रहे हैं। इनमें 1985 बैच के परिमल राय और 1986 बैच के मनोज परीदा शामिल हैं। हालांकि परिमल राय जनवरी में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसी तरह परीदा फरवरी में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन हालातों में दिल्ली के मुख्य सचिव का पद किसे मिलेगा, अभी कहना जल्दबाजी होगी।