दिल्ली के ज्वेलरी कारोबारियों पर चला भारतीय मानक ब्यूरो का चाबुक, दरीबा कलां में हुआ पहला एक्शन
चांदनी चाैक के दरीबा कलां स्थित एक हालमार्किंग सेंटर पर बीआइएस के अधिकारियों ने छापेमारी में हालमार्किंग में गड़बड़झाला को पकड़ा है। मौके से तकरीबन 350 ग्राम सोने की ज्वेलरी जब्त की है। हालमार्किंग किए कुछ ज्वेलरी को जांच के लिए बीआइएस प्रयोगशाला ले जाए गए हैं।
नई दिल्ली, [नेमिष हेमंत]। ज्वेलरी पर हालमार्किंग की अनिवार्यता का नियम लागू होने के बाद पहली बार राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) का चाबुक चला है। चांदनी चाैक के दरीबा कलां स्थित एक हालमार्किंग सेंटर पर बीआइएस के अधिकारियों ने छापेमारी में हालमार्किंग में गड़बड़झाला को पकड़ा है। मौके से तकरीबन 350 ग्राम सोने की ज्वेलरी जब्त की है। हालमार्किंग किए कुछ ज्वेलरी को जांच के लिए बीआइएस प्रयोगशाला ले जाए गए हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक नियमों के उल्लंघन मामले में चेतना हालमार्किंग सेंटर पर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
बीआएस के मुताबिक उन्हें इस हालमार्किंग सेंटर में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। यहां ज्वेलरी की मार्किंग पुराने तौर-तरीके से ही की जा रही थी, जिसमें ज्वेलरी की शुद्धता मामले में धांधली की संभावना रहती है। इसी धांधली को रोकने के लिए नए नियम में हर ज्वेलरी के लिए विशेष एचयूआइडी नंबर की कंम्प्यूटरीकृत व्यवस्था की गई है, जिसका पालन इस सेंटर पर नहीं हो रहा था। बीआइएस के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह की औचक छापेमारी अब दिल्ली के सभी 38 सेंटरों पर की जाएगी। ताकि ज्वेलरी की शुद्धता में गड़बड़ियों को रोका जा सकें।
क्या है नया नियम
हर ज्वेलरी पर हालमार्किंग अनिवार्य करने के साथ इंटरनेट मार्किंग की व्यवस्था की गई है। पहले ज्वेलरी पर हालमार्किंग प्रक्रिया में चार प्रकार के लोगो (शुद्धता, बीआइएस, सेंटर व ज्वेलर्स) लगाए जाते थे। जबकि नए नियम में ज्वेलर्स जब हालमार्किंग के लिए सेंटर पर ज्वेलरी भेजता है तभी इंटरनेट माध्यम से हर एक ज्वेलरी का छह अंकों का विशेष एचयूआइडी कोड आता है, जिसे ज्वेलरी की जांच के बाद हालमार्किंग सेंटर केवल एक लोगो सोने की शुद्धता के साथ अंकित करता है। इस कोड के माध्यम से कहीं से भी पता किया जा सकता है इसे किस सेंटर से स्वीकृत किया गया है तथा किस ज्वेलर्स ने बेचा है।
कैसे होती है गड़बड़ी
हालमार्किंग को सोने की शुद्धता का पैमाना माना जाता है। लोग मार्किंग देखकर सोने की ज्वेलरी इसी विश्वास पर खरीदते हैं। पर इसमें भी गड़बड़ियां आम हैं। असल में मार्किंग की व्यवस्था हालमार्किंग सेंटर के जिम्मे हैं। इसके लिए बीआइएस ने हालमार्किंग सेंटर को लाइसेंस दे रखा है। हर ज्वेलरी की शुद्धता की जांच की एवज में ज्वेलर्स एक निश्चित शुल्क अदा करते हैं। वैसे, पहले मार्किंग की सारी व्यवस्था हालमार्किंग सेंटर तक ही थी। इनपर निगरानी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं थी। इसलिए शुद्धता और मार्किंग में हेराफेरी के साथ सेंटर व ज्वेलर्स के लोगो में भी फर्जीवाड़े की संभावना रहती थी।
ज्वेलर्स और हालमार्किंग सेंटर मिलीभगत कर बिना जांच के ही शुद्धता का मनमर्जी लोगो लगा देते थे। मसलन किसी सोने की शुद्धता 22 कैरेट है तो उसपर लोगो 24 कैरेट का लोगो लगा दिया। इतना ही नहीं भविष्य में यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आए, इसके लिए ज्वेलरी पर सेंटर और ज्वेलर्स का लोगो भी फर्जी लगाते थे।