Move to Jagran APP

10वीं पास युवकों ने केंद्रीय मंत्रालय को लगाया चूना, YouTube से सीखा चीटिंग का तरीका

यू-ट्यूब पर फर्जीवाड़ा सीखकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से करीब चार करोड़ रुपये की ठगी करने वाले चार आरोपितों को आर्थिक अपराध शाखा ने असम से गिरफ्तार किया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 10:07 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 03:47 PM (IST)
10वीं पास युवकों ने केंद्रीय मंत्रालय को लगाया चूना, YouTube से सीखा चीटिंग का तरीका
10वीं पास युवकों ने केंद्रीय मंत्रालय को लगाया चूना, YouTube से सीखा चीटिंग का तरीका

दिल्ली, जेएनएन। यू-ट्यूब पर फर्जीवाड़ा सीखकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से करीब चार करोड़ रुपये की ठगी करने वाले चार आरोपितों को आर्थिक अपराध शाखा ने असम से गिरफ्तार किया है। आरोपित दसवीं पास हैं। उनके पास से 10 लाख रुपये व कार बरामद हुई है। सर्विलांस के जरिये असम से ठगी किए जाने की जानकारी मिली थी। इसके बाद टीम ने असम के मोरीगांव जिले से गिरोह के सरगना नूर मोहम्मद, फरीदुल इस्लाम, इमान फारुख एवं हारुन राशिद को गिरफ्तार किया।

loksabha election banner

बनाते थे आधार कार्ड

चारों मोरीगांव में आधार कार्ड बनाने का काम करते थे। वे अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति घोटाला भी कर चुके हैं। निर्माण भवन में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याणमंत्रालय का पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम है। इसके जरिये मंत्रालय के देशभर में फैले कार्यालयों के बिलों का भुगतान किया जाता है। बिल ई-मेल के जरिये मंत्रालय के पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम की वेबसाइट पर भेजे जाते हैं।

ई-मेल से जाता था बिल

ई-मेल सरकारी संस्था एनआइसी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत तैयार करके भेजी जाती हैं। आरोपितों ने पहले पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम की वेबसाइट पर मौजूद बिल भुगतान का वीडियो देखकर भुगतान के तरीके की जानकारी ली। इसके बाद यू-ट्यूब पर आगे की प्रक्रिया सीखी। उन्हें एनआइसी की आइडी के जरिये बिल भुगतान होने की जानकारी मिली। उन्होंने पहले साठगांठ करके एनआइसी की आइडी बनवाई।

गत वर्ष जुलाई से दिसंबर तक ई-मेल आइडी से पुडुचेरी ऑफिस के नाम पर बिल भेजे, जिस पर मंत्रालय द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा में खोले गए खातों में उक्त कथित बिलों के एवज में कई बार में करोड़ों का भुगतान किया गया। आरोपितों ने फर्जी पैनकार्ड एवं पहचान पत्र का बैंक खाता खोलने में इस्तेमाल किया। मामले की जानकारी होने पर दिसंबर 2018 में मंत्रालय की अधिकारी माया रावत ने आर्थिक अपराध शाखा में मुकदमा दर्ज कराया।

जांच के घेरे में एनआइसी के अफसर भी

अफसरों की मानें तो एनआइसी पर ई-मेल आइडी बनाने के लिए विभाग के मुखिया की अनुमति जरूरी है। आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि गत वर्ष अप्रैल में उन्होंने आइडी बनाने की प्रक्रिया शुरू की। बिना जांच पड़ताल किए एनआइसी में इनकी आइडी बना दी गई। आर्थिक अपराध शाखा की टीम एनआइसी अफसरों से भी पूछताछ करेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.