दिल्ली में संकट मोचक बना बोट क्लब, डूबती जिंदगियों को दे रहे नया जीवन
गोताखोरों की टीम यमुना के किनारे 24 घंटे तैनात रहती है। यह टीम अलग-अलग शिफ्ट के हिसाब से काम करती है। जब किसी के डूबने की काल आती है तो सबसे पहले टीम मोटर बोट से घटनास्थल पर जाती है।
नई दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। नदियां जीवनदायिनी हैं, लेकिन जब हम अपनी हदें पार कर नदियों में जल क्रीड़ा करने जाते हैं तब यह हमारे लिए प्राण घातक हो जाती हैं। राजधानी के करीब 45 किलोमीटर के क्षेत्र में बहने वाली यमुना में हर वर्ष औसतन डूबने की दो सौ से अधिक सूचनाएं आती हैं। यह सूचना रेस्क्यू बोट क्लब को आती है। सूचना पर क्लब के गोताखोरों की टीम डूबती जिंदगियों का बचाने में जुट जाती है।
इस वर्ष यमुना में डूबने की 172 सूचनाओं पर बोट क्लब ने 22 जिंदगियों को बचाया है। साथ ही गहरे पानी से 78 शवों को भी खोज निकाला है।
20 गोताखोर व 17 मोटर बोट वाला क्लब
दिल्ली के क्षेत्र की यमुना व तीन नहरों बवाना नहर, कोंडली व जैतपुर नहर का क्षेत्र कवर करता है। बोट क्लब के इंचार्ज हरीश कुमार ने बताया कि कई बार डूबने की सूचनाएं देरी से आती हैं। ऐसे में डूबे लोगों को बचा पाना संभव नहीं होता। सूचनाएं जब तत्काल प्राप्त होती हैं तो लोगों को जिंदा बचा पाने की संभावना अधिक रहती है। उनके मुताबिक यमुना में अधिकतर डूबने के मामले लोगों की लापरवाही के चलते होते हैं। लोग यमुना किनारे पार्टी व पिकनिक मनाने आते हैं और इसके बाद वह नहाने चले जाते हैं। ऐसे में कई बार हादसा हो जाता है।
24 घंटे रहती है तैनाती
गोताखोरों की टीम यमुना के किनारे 24 घंटे तैनात रहती है। यह टीम अलग-अलग शिफ्ट के हिसाब से काम करती है। जब किसी के डूबने की काल आती है तो सबसे पहले टीम मोटर बोट से घटनास्थल पर जाती है। यहां पर गोताखोरों की टीम घटनास्थल के साथ ही करीब 500 मीटर के दायरे में गोता लगा कर तलाश करती है। यदि डूबने वाले का पता नहीं चलता तो फिर खोज अभियान का दायरा कई किलोमीटर तक बढ़ाया जाता है।
40 फीट गहराई तक लगाते हैं गोता
गोताखोरों के पास खुद की जान बचाने का कोई उपकरण नहीं है। यह खुद पेशेवर तरीके से बिना सुरक्षा उपकरणों के एक से डेढ़ मिनट तक पानी के अंदर रहते हैं। इस दौरान वह 40 फीट तक के गहरे पानी में डूबे लोगों की तलाश करते हैं।