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राजनाथ सिंह को बहुत तजुर्बा है, किसानों को उन पर विश्वास; बातचीत के लिए आगे आएंः टिकैत

Farmer Protest नरेश टिकैत ने कहा कि खेती-किसानी के मामले में राजनाथ सिंह को बहुत तजुर्बा है। किसानों को उन पर विश्वास है। किसानों से बातचीत में उन्हें आगे आना चाहिए। टिकैत ने दावा कि उन्हें किसानों के हितों के मुद्दे पर बोलने नहीं दिया जा रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 04:43 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 07:34 AM (IST)
राजनाथ सिंह को बहुत तजुर्बा है, किसानों को उन पर विश्वास; बातचीत के लिए आगे आएंः टिकैत
हापुड़ के गांव धनोरा पहुंचे भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत।

नई दिल्ली/ हापुड़, जेएनएन। भारतीय किसान यूनियन(टिकैत) यानी भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने सोमवार को हापुड़ के धनौरा गांव पहुंचे। इस दौरान उन्होंने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों से बातचीत की। उन्होंने कहा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को बहुत तजुर्बा है। किसानों को उन पर विश्वास है। किसानों से बातचीत में उन्हें आगे आना चाहिए। नरेश टिकैत ने दावा कि उन्हें किसानों के हितों के मुद्दे पर बोलने नहीं दिया जा रहा है। कृषि कानून राष्ट्रीय मुद्दा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और लाल कृष्ण आडवाणी को भी केंद्र सरकार इस मुद्दे में शामिल करे। बता दें कि नरेश टिकैत यूपी गेट पर धरना दे रहे राकेश टिकैत के भाई हैं। 

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भाकियू नेता नरेश टिकैत ने दावा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर भी शिकंजा कसा हुआ है। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को भी तजुर्बा है। उन्हें सही बात बोलने की छूट दी जाए। संजीव बालियान भी दोनों तरफ से फंसे हुए हैं। इसमें उनकी कोई खता नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा में भी खलबली का माहौल है। यही हाल रहा तो करीब सौ सांसद एकदम से टूटेंगे।

उन्होंने कहा कि हमने पहले ही बोला था कि गांवों में माहौल खराब है। हमने पहले ही संजीव बालियान से मना किया था। उनकी सरकार में उनका विरोध हो रहा है तो यह अच्छी बात नहीं है। सरकार ने गलती की है तो सरकार को ही आगे आना होगा।  

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टिकैत ने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों पर अपनी जिद छोड़ दे, किसान बातचीत को तैयार हैं। बशर्ते, सरकार तीनों कानून वापस ले और एमएसपी पर कानून बनाए। बिना इन शर्तों को पूरा किए किसान पीछे नहीं हटेंगे। यह आंदोलन अनिश्चितकालीन है, जो मरते दम तक जारी रहेगा।उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून किसी भी तरह किसानों के हित में नहीं है। यह बात सरकार भी जानती है, लेकिन अपनी जिद के चलते वह किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बहुत से नाम दे रही है, जो किसानों के लिए अपमान की बात है, लेकिन सरकार के लोग यह भूल गए हैं कि किसानों का शोषण करने वाला कभी सफल नहीं हुआ है। इसका परिणाम उसे भुगतना ही पड़ेगा।

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