दिल्ली विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज करना भाजपा को पड़ गया भारी
चुनाव प्रचार में दिल्ली के मुद्दों को नजरअंदाज किया गया। इससे मतदाता भाजपा से दूर चले गए। नेताओं की गुटबाजी की वजह से भी हार का सामना करना पड़ा।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारणों की पड़ताल कर रहे भाजपा नेताओं ने शुक्रवार को प्रत्याशियों के मन की बात सुनी। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के सामने अधिकांश प्रत्याशियों ने हार के लिए दिल्ली के स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज करने, नफरत वाली भाषा और प्रदेश के नेताओं की गलत रणनीति को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रत्याशियों के साथ बैठक
प्रदेश भाजपा कार्यालय में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के साथ बैठक में बीएल संतोष के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी व संगठन महामंत्री सिद्धार्थन शामिल हुए। अधिकांश प्रत्याशियों का कहना था कि आम आदमी पार्टी ने काफी पहले से अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था, लेकिन प्रदेश भाजपा इसे लेकर गंभीर नहीं थी। बाद में जब राष्ट्रीय नेतृत्व ने चुनाव प्रचार को अपने हाथ में लिया तो इसमें तेजी आई। यदि प्रदेश के नेता मतदान से दो माह पहले मैदान में जोरशोर से उतरते तो इसका लाभ मिल सकता था।
दिल्ली के नेताओं की गुटबाजी से उठाना पड़ा नुकसान
बैठक में कई प्रत्याशियों ने कहा कि बूथ प्रबंधन का काम सिर्फ कागजों पर दिखा। जमीनी स्तर पर बूथ कार्यकर्ताओं ने काम नहीं किया। वहीं, नेताओं की गुटबाजी की वजह से भी हार का सामना करना पड़ा। उनका कहना था कि चुनाव प्रचार में दिल्ली के मुद्दों को नजरअंदाज किया गया। इससे भी मतदाता भाजपा से दूर चले गए। इसी तरह से कई नेताओं द्वारा नफरत भरे भाषण दिए गए जिससे भी भाजपा प्रत्याशियों को नुकसान उठाना पड़ा। उनका कहना था कि पार्टी को मजबूत करने के लिए बूथ स्तर पर मेहनत करने की जरूरत है।
दिल्ली के नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ समीक्षा बैठक
गौरतलब है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेता पिछले माह से ही दिल्ली के नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ समीक्षा बैठक कर रहे हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की वजह से यह काम बाधित भी हुआ। हिंसा प्रभावित पांच विधानसभा क्षेत्रों में आज तक बैठक नहीं हो सकी है।