Delhi Excise Policy: अरविंद केजरीवाल सरकार का विरोध करने में खुद फंस गई भाजपा !
उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मध्य प्रदेश सहित भाजपा शासित कई अन्य राज्यों में शराब पीने की उम्र 21 वर्ष या इससे भी कम है। इस स्थिति में विरोधी पार्टियां इसे लेकर भाजपा को घेर सकती हैं। इस तरह की फजीहत से बचने के लिए पार्टी को सतर्क रहने की जरूरत है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति में शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 साल किए जाने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए आम आदमी पार्टी सरकार ने आम जनता से सुझाव भी मांगे हैं, लेकिन भाजपा को इस पर सियासत करने के लिए मुद्दा मिल गया है। इसके लिए महिला कार्यकर्ताओं को आगे करते हुए पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है। महिला कार्यकर्ताओं ने प्रस्ताव के विरोध में प्रदर्शन और बयानबाजी की तो पार्टी में ही असहमति के सुर उठने लगे। भाजपा नेताओं का ही कहना है कि आंदोलन करने से पहले रणनीतिकारों को होम वर्क कर लेना चाहिए था। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश सहित भाजपा शासित कई अन्य राज्यों में शराब पीने की उम्र 21 वर्ष या इससे भी कम है। इस स्थिति में विरोधी पार्टियां इसे लेकर भाजपा को घेर सकती हैं। इस तरह की फजीहत से बचने के लिए पार्टी को सतर्क रहने की जरूरत है।
छोटे नेताओं की चिड़िया ज्यादा अनमोल
इंटरनेट मीडिया नेताओं की लोकप्रियता का एक पैमाना हो गया है। यही कारण है कि नेता इन दिनों इस मंच का भरपूर उपयोग करते हैं। खासकर ट्विटर पर नेताओं की सक्रियता बढ़ी है। फालोवर की संख्या और ट्वीट पर मिलने वाले लाइक से उनकी सियासी हैसियत का पता चलता है। यदि ट्विटर अकाउंट के साथ नीला सत्यापित बैज लग जाए तो उनका रुतबा और बढ़ जाता है। इसे हासिल करने की कोशिश में नेता लगे रहते हैं, लेकिन कुछ ही कामयाब होते हैं। दिल्ली भाजपा में भी इसे लेकर खूब सियासत हो रही है। इसमें छोटे नेता दिग्गजों को मात देकर अपनी चिड़िया को सम्मानित कराने में कामयाब हो गए। लगभग दस प्रदेश पदाधिकारियों का अकाउंट सत्यापित हुआ है, जिसमें कई प्रवक्ता भी शामिल हैं, लेकिन प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव बब्बर, वीरेंद्र सचदेवा व महामंत्री दिनेश प्रताप सिंह इसमें पिछड़ गए। पार्टी नेतृत्व के लिए शायद इनकी चिडि़या अनमोल नहीं है।
खूब किया प्रदर्शन, हासिल कुछ नहीं
दिल्ली के तीनों नगर निगम आर्थिक बदहाली के कगार पर हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कर्मचारियों को कई-कई माह तक वेतन नहीं मिलता है। कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे राजधानी में सफाई व्यवस्था चरमराने लगी है। समस्या के स्थायी समाधान के बजाय इसे लेकर खूब सियासत हो रही है। भाजपा व आम आदमी पार्टी (आप) निगम की बदहाली के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। आप का कहना है कि भ्रष्टाचार की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। वहीं, भाजपा दिल्ली सरकार पर फंड नहीं देने का आरोप लगा रही है। इसे लेकर पार्टी लगभग तीन माह से आंदोलन कर रही है। मुख्यमंत्री आवास के बाहर तीनों निगमों के महापौर व अन्य नेताओं ने धरना दिया। बूथ स्तर पर जनजागरण अभियान चलाया गया, लेकिन इससे कोई परिणाम हासिल नहीं हो रहा। अब कार्यकर्ता भी आंदोलन के तरीके पर सवाल उठाने लगे हैं।
काश, यह चुनाव टल जाए
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) की सत्ता पर कब्जा करने का सपना देख रहे नेता चुनाव की तैयारी भी कर रहे हैं और उन्हें चुनाव स्थगित होने का डर भी सता रहा है। मार्च में कमेटी का चुनाव प्रस्तावित है। गुरुद्वारा निदेशालय के साथ ही चुनाव लड़ने वाली सभी पार्टियों ले अपने स्तर पर तैयारी भी तेज कर दी है। लेकिन, चुनाव की तिथि को लेकर असमंजस में हैं। जग आसरा गुरु ओट और शिरोमणि अकाली दल दिल्ली का आरोप है कि कमेटी की सत्ता पर काबिज शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) चुनाव स्थगित कराने की कोशिश में है। अदालत का सहारा लिया जा रहा है। उनके अनुसार कमेटी के वर्तमान प्रबंधकों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। पुराने अकाली साथ छोड़ रहे हैं। इस हाल में अपनी खिसकती सियासी जमीन को देखते हुए शिअद बादल के नेता किसी भी हाल में चुनाव स्थगित कराना चाहते हैं।
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