Bharat Bandh: दिल्ली के बाजारों का समर्थन नहीं, आम दिनों की तरह खुलने लगे सभी थोक व खुदरा बाजार
व्यापारिक संगठनों के मुताबिक त्यौहारी सीजन आने वाला है। उसे लेकर दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से खरीदार बााजरों में आने लगे हैं। ऐसे में बाजार बंद करना ठीक नहीं है। दूसरे आंदोलनकारी संगठनों की ओर से इस राष्ट्रीय बंद में शामिल होने के लिए कोई अनुरोध भी नहीं आया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Bharat Bandh: कृषि कानून के विराेध में सोमवार को भारत बंद के आह्वान को दिल्ली के बाजारों का साथ नहीं मिल रहा है। राष्ट्रीय राजधानी के सभी थोक व फुटकर बाजार आम दिनों की तरह खुलने शुरू हो गए हैं। व्यापारिक संगठनों के मुताबिक, त्योहारी सीजन आने वाला है। उसे लेकर दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से खरीदार बाजारों में आने लगे हैं। ऐसे में बाजार बंद करना ठीक नहीं है। दूसरे, आंदोलनकारी संगठनों की ओर से इस राष्ट्रीय बंद में शामिल होने के लिए कोई अनुरोध भी नहीं आया है।
चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव ने कहा कि चांदनी चौक समेत दिल्ली के सभी बाजार खुले रहेंगे। आम दिनों की तरह कामकाज होगा। इस आंदोलन को जरूर राजनीतिक दलों का समर्थन मिल रहा है, लेकिन व्यापारी किसी बंद के समर्थन में नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछली बार लालकिला पर उपद्रव की घटना को देखते हुए जरूरी है कि ऐतिहासिक स्मारकों के साथ बाजारों में भी सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाए।
आटोमोटिव पार्टस मर्चेंट एसोसिएशन (अपमा), कश्मीर गेट के अध्यक्ष विनय नारंग ने कहा कि व्यापारी बाजार बंद करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि एक दिन के भी बंद से करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। वैसे भी कोरोना व लाकडाउन के कारण व्यापारी गहरे आर्थिक संकट में हैं।
फेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री राजेंद्र शर्मा ने कहा कि कृषि कानून के विरोध में आंदोलन के प्रति सहानुभूति है, लेकिन बंद किसी समस्या का हल नहीं है। किसी भी समस्या का हल बातचीत से ही निकल सकता है। इसमें दोनों पक्षों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि वैसे भी त्यौहारी सीजन है। ऐसे में बंद करना कहीं से भी उचित नहीं है।
औद्योगिक क्षेत्र भी रहेंगे खुले
लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय सचिव सम्पत तोषनीवाल ने कहा कि बंद का दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में असर नहीं दिखने वाला है। धीरे-धीरे आंदोलन के पीछे की राजनीतिक वजहें सामने आ रही है। इससे सबसे अधिक प्रभावित दिल्ली-एनसीआर का औद्योगिक क्षेत्र है। इसलिए उद्यमी इससे दूरी बनाए हुए हैं।
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