चिड़ियाघर में 15 साल के बंगाल टाइगर की मौत, पर्यटकों को खलेगी बी-2 की कमी
चिड़ियाघर के निदेशक रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि मृतक बी-2 की उम्र करीब 15 साल की थी। बी-2 बंगाल में पाए जाने वाले टाइगर में से एक था। वह एक बुजुर्ग टाइगर होने के कारण अपने बाड़े में अकसर बैठा रहता था।
नई दिल्ली, राहुल सिंह। चिड़ियाघर में बृहस्पतिवार सुबह एक बंगाल टाइगर की मौत हो गई। चिड़ियाघर में सुबह साढ़े नौ बजे अंतिम सांस लेने वाले टाइगर को बी-2 नाम से जाना जाता था। वह करीब चार महीने से बीमार चल रहा था, लेकिन पिछले 20 दिनों से उसकी स्थिति बहुत ही गंभीर बनी हुई थी। उसकी किडनी में इंफेक्शन होने के कारण वह परेशान था, जिसके चलते उसकी मौत हुई है। हालांकि चिड़ियाघर के डॉक्टर ने उसका बिसरा रिजर्व कर लिया है, जिसे जांच के लिए भेज दिया है।
चीते का नाम था बी-2
चिड़ियाघर के निदेशक रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि मृतक बी-2 की उम्र करीब 15 साल की थी। बी-2 बंगाल में पाए जाने वाले टाइगर में से एक था। वह एक बुजुर्ग टाइगर होने के कारण अपने बाड़े में अकसर बैठा रहता था। पिछले दिनों से उसकी तबियत बिगड़ने के कारण वह अपना खाना भी पूरा नहीं खाता था, जिसके चलते वह और भी अधिक बीमार रहने लगा। उन्होंने बताया कि बी-2 की किडनी का उपचार चल रहा था।
चिड़ियाघर प्रबंधन के मुताबिक अपनी उम्र पूरी कर चुका था चीता
इसके चलते उसका चिड़ियाघर प्रबंधन द्वारा इन दिनों बिल्कुल बच्चों की तरह से खयाल रखा जाता था। उसके लिए एक अलग बाड़ा भी बनाया गया था, जिसमें उसे निकला जाता था। जहां वह बैठकर सर्दियों में धूप लेता था। उन्होंने बताया कि चिड़ियाघर के डॉक्टर तो लगातार बी-2 का इलाज कर रहे थे। उसे पिछले दिनों से विटामिन की के साथ रोग संबंधी दवाएं दी जाती थीं। इसके अलावा उसका आइवीआरआइ के विशेषज्ञों, इटावा लायन सफारी और अन्य के पशु चिकित्सा अधिकारियों से उपचार कराया गया था, लेकिन इसके बावजूद वह ठीक नहीं हो सकी।
मौत पर चिड़ियाघर प्रबंधन दुखी
निदेशक ने बताया कि चिड़ियाघर में छह सफेद चीते और दो बंगाल के टाइगर थे, जिनमें से बी-2 की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि चीतों की उम्र करीब 12 से 16 तक की होती है। जो जंगल और चिड़ियाघर के हिसाब से अलग-अलग मानी जाती है। ऐसे में बी-2 अपनी की उम्र भी लगभग पूरी कर चुका था। उन्होंने कहा कि मौत पर चिड़ियाघर प्रबंधन को बहुत दुख हो रहा है। करीब दो महीने पहले चिड़ियाघर में एक अखिला नाम की शेरनी की मौत भी हुई थी, जिसकी मौत का कारण उसका बीमार और लकवा माना गया था। वह लंबे समय से बीमार चल रही थी।
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