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इटावा से गाजियाबाद शिष्य के घर पहुंचे 'महात्मा गांधी', मजाक उड़ाने वाले RPF कर्मियों पर कसा तंज

इटावा स्टेशन पर आरपीएफ कर्मियों द्वारा शताब्दी ट्रेन में चढ़ने से रोके जाने के बाद बाबा रामअवध दास शुक्रवार को इंदिरापुरम स्थित शिष्य के घर पहुंचे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 09:38 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:38 PM (IST)
इटावा से गाजियाबाद शिष्य के घर पहुंचे 'महात्मा गांधी',  मजाक उड़ाने वाले RPF कर्मियों पर कसा तंज
इटावा से गाजियाबाद शिष्य के घर पहुंचे 'महात्मा गांधी', मजाक उड़ाने वाले RPF कर्मियों पर कसा तंज

गाजियाबाद, जेएनएन। इटावा स्टेशन पर गुरुवार को आरपीएफ कर्मियों द्वारा शताब्दी ट्रेन में चढ़ने से रोके जाने के बाद बाबा रामअवध दास शुक्रवार को इंदिरापुरम स्थित मकनपुर में शिष्य के घर पहुंचे। यहां बाबा ने कहा कि वह शिष्यों को मूर्ति पूजा न करने की शिक्षा देते है, लेकिन यह लग रहा है कि लोग दिखावा करने और मोह माया से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। उनके साथ जो हुआ वह इसी मोह माया का एक उदाहरण है, जिसके चलते आरपीएफ कर्मियों ने टिकट होने के बावजूद सिर्फ साधारण कपड़े देखकर उन्हें ट्रेन में नहीं चढ़ने दिया, जबकि उनके पास कंफर्म टिकट था।

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मूलरूप से बाराबंकी निवासी 72 वर्षीय बाबा रामअवध दास गुरुवार को इटावा स्टेशन पर पहुंचे थे। उन्हें शताब्दी ट्रेन पकड़नी थी, लेकिन आरपीएफ कर्मियों ने उन्हें ट्रेन में चढ़ने से रोक दिया। उनका कहना था कि बाबा रामअवध दास ने धोती-कुर्ता और हवाई चप्पल पहनी है। वह शताब्दी ट्रेन में सफर नहीं कर सकते हैं। 

शिष्य के घर पहुंचे बाबा रामअवध दास ने कहा कि, मैं सभी शिष्यों को कहता हूं कि मूर्ति पूजा छोड़कर ईश्वर में ध्यान लगाना चाहिए। उस सर्वशक्ति से जुड़ना चाहिए जो हर जगह मौजूद है, लेकिन शायद लोग जीवन की सच्चाई को समझ ही नहीं पा रहे हैं। आरपीएफ कर्मियों ने भी इंसानियत को नहीं देखा, सिर्फ कपड़ों से उन्हें आंकने लगे। उन्होंने कहा कि वह किसी की शिकायत नहीं करना चाहते, बस ईश्वर से यही प्रार्थना है कि उन्हें सद्बुद्धि मिले, जिससे वे कपड़ों को नहीं इंसान को पहचान सकें।

बता दें कि 7 जून 1893 को दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ट्रेन से धक्के मारकर सिर्फ इसलिए उतार दिया गया था क्योंकि वह अश्वेत थे। ठीक ऐसी ही घटना 126 वर्ष बाद इटावा जंक्शन पर घटी, जब दुबली-पतली काठी वाले 72 वर्षीय बाबा रामअवध दास को कन्फर्म टिकट होने के बाद भी ट्रेन में इसलिए नहीं चढ़ने दिया गया, क्योंकि वह जो धोती पहने थे, वही लपेटे भी थे। रबर की चप्पल पहने थे।

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