मुगलकालीन दिल्ली को संवारने के लिए बनेगा एक प्राधिकरण
23 दिसंबर को बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई और एसआरडीसी को जल्द प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है। इसे आगे की कार्रवाई के लिए शहरी विकास विभाग के माध्यम से दिल्ली सरकार को सौंपा जाएगा।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। मुगलों ने यूं तो पूरे देश पर राज किया, लेकिन आगरा के अलावा उनकी शक्ति का केंद्र रहे दिल्ली के शाहजहांनाबाद के दिन अब बहुरेंगे। शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम (एसआरडीसी) ने इस पूरे मुगलकालीन क्षेत्र के विकास के लिए प्राधिकरण बनाने का फैसला किया है। 23 दिसंबर को बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई और एसआरडीसी को जल्द प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है। इसे आगे की कार्रवाई के लिए शहरी विकास विभाग के माध्यम से दिल्ली सरकार को सौंपा जाएगा। यह कवायद मास्टर प्लान 2041 को ध्यान में रखकर की गई है, ताकि ‘स्पेशल एरिया’ के रूप में तय तकरीबन 380 वर्ष पुरानी इस वाल सिटी (दीवारों से घिरा शहर) का योजनाबद्ध तरीके से विकास किया जा सके। विकास होने के बाद इस पुराने शहर को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराना आसान हो जाएगा।
एसआरडीसी के एक अधिकारी के मुताबिक, वाल सिटी का प्राधिकरण काफी हद तक नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) की तरह काम करेगा, जिसके पास अपने अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के विकास का एकीकृत अधिकार होगा। मौजूदा समय में छह गेटों के भीतर बसे मुगलकालीन दिल्ली के विकास की जिम्मेदारी कई विभागों और उत्तरी निगम के पास है। सिविक एजेंसियों में तालमेल नहीं होने के कारण ही यह शहर धीरे-धीरे अपनी पहचान खोती जा रही है। चांदनी चौक के पुनर्विकास का काम भी हाई कोर्ट की निगरानी में हो रहा है, जिसके तहत लाल जैन मंदिर से फतेहपुरी मस्जिद तक के मुख्य मार्ग को मोटर वाहन रहित सड़क (एनएमवी) बनाने के साथ फुटपाथों का सुंदरीकरण किया जा रहा है। अब इसका दायरा बढ़ाकर चांदनी चौक के संपर्क मार्ग, एसपी मुखर्जी मार्ग और जामा मस्जिद क्षेत्र तक किया गया है। नवंबर 2018 में भी पुरानी दिल्ली के विकास के लिए इस तरह का प्रस्ताव आया था, लेकिन दिसंबर 2018 में चांदनी चौक के पुनर्विकास का काम प्रारंभ होने के साथ बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। माना जा रहा है कि मौजूदा समय में पुनर्विकास का काम मार्च 2021 में पूरा हो जाएगा।
शाहजहां ने रखी थी शाहजहांनाबाद की नींव
शाहजहांनाबाद की नींव मुगल बादशाह शाहजहां ने वर्ष 1639 में रखी थी और वर्ष 1650 में यह बनकर तैयार हुआ। इसे किला के अलावा हवेलियां व ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है। यह अपनी खास सभ्यता व संस्कृति समेटे हुए है। जायके और बाजारों के लिए भी यह विश्व प्रसिद्ध है। वैसे, इसके पुनर्विकास के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने वर्ष 2008 में एसआरडीसी का गठन किया था, लेकिन उसके पास कोई विशेष अधिकार नहीं है। हर कार्य के लिए सिविक एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता है।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो