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दिल्ली में फिर सियासी दंगल, दांव पर होगी AAP-कांग्रेस और भाजपा की साख

बवाना उपचुनाव में जीत-हार से दिल्ली सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन अरविंद केजरीवाल की साख जरूर दांव पर लगी है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 27 Jul 2017 07:28 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 09:09 AM (IST)
दिल्ली में फिर सियासी दंगल, दांव पर होगी AAP-कांग्रेस और भाजपा की साख

नई दिल्ली (जेएनएन)। आम आदमी पार्टी के विधायक वेद प्रकाश के इस्तीफे से खाली हुई  बवाना सीट पर उपचुनाव की तारीख का एलान होते ही दिल्ली में सियासी जंग शुरू हो गई है। बवाना उपचुनाव में जीत-हार से दिल्ली सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन अरविंद केजरीवाल की साख जरूर दांव पर लगी है। यह उपचुनाव आम आदमी पार्टी के लिए ही नहीं, बल्कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए भी अहम है, क्योंकि यह जीत तीनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने का काम करेगी। 

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बता दें कि फरवरी 2015 में आम आदमी पार्टी सरकार बनने के बाद यह दूसरा उपचुनाव है, जिसे तीनों ही पार्टियां जीतना चाहेंगीं। इससे पहले राजौरी गार्डन उपचुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन को जीत मिली थी, जबकि AAP के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी। वहीं, कांग्रेस ने अपने पुराने वोटबैंक को वापस पाने में सफलता पाई थी। ऐसे में तीनों दलों के पास पाने को बहुत कुछ और खोने को कुछ नहीं है।

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बताया जा रहा है कि कांग्रेस इस उपचुनाव में भी राजौरी गार्डन उपचुनाव का प्रदर्शन दोहरा सकती है। वहीं, जीती सीट पर हार AAP के लिए झटका साबित होगा। उधर, माना जा रहा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी यह सीट जीतती है, तो उसे 2020 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में सकारात्कम ऊर्जा मिलेगी।

माना जा रहा है कि एमसीडी चुनाव में मनमाफिक नतीजा नहीं मिलने के बाद अब आप इस सीट को गंवाना नहीं चाहती। तभी बवाना उपचुनाव पर अरविंद केजरीवाल की सीधी नजर है। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी सुप्रीमो कई बार बवाना का दौरा कर चुके हैं। केजरीवाल तो जनता के बीच जाकर वेद प्रकाश की धोखे की बात भी करते हैं।

यह भी जानें

बवाना विधानसभा
जिला : उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली
राज्य : दिल्ली
सीट : आरक्षित 


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