केजरीवाल की बैकफुट की राजनीति, एकाएक आक्रामक तेवर पड़ गया नरम, AAP में दरार
वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे।
नई दिल्ली [ जेएनएन ] । विरोधी पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाकर राजनीति में कदम रखते हुए सत्ता तक पहुंचने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब माफीनामे की सियासत पर तेजी से कदम बढ़ा दिया है। पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल बादल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से मानहानि मामले में उनके माफी मांगने से उठा बवंडर अभी थमा भी नहीं था कि उन्होंने सोमवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से भी माफी मांग ली। अपनी इस माफीनामे की सियासत की वजह से वह विपक्ष के साथ ही अपनों के निशाने पर भी आ गए हैं। पार्टी में विद्रोह की स्थिति है।
वैकल्पिक राजनीति की बात करने वाले केजरीवाल अपने सियासी सफर में शुरू से ही अपने प्रतिद्वंदी पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं, जिसे वह आज तक साबित नहीं कर सके हैं। वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। चुनावी सभाओं में दस्तावेज दिखाते हुए सत्ता में आने पर उन्हें जेल भेजने का एलान करते थे।
इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, नितिन गडकरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल सहित कई नेताओं के खिलाफ भी उन्होंने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा दिए जिससे नाराज इन नेताओं ने उन पर मानहानि का मुकदमा कर दिया।
वहीं, पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने नशा को बड़ा मुद्दा बनाते हुए मजीठिया पर ड्रग के अवैध कारोबार से जुड़े होने आरोप लगाकर सत्ता में आने के 15 दिनों के अंदर उन्हें जेल भेजने का एलान कर दिया। मजीठिया ने भी इनके खिलाफ मानहानि का केस कर दर्ज कराया था।
मानहानि के दर्ज मुकदमों में स्वयं पर कानूनी शिकंजा कसता देख वह माफी मांग अपने आप को बचाने में जुट गए हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने मजीठिया से माफी मांगकर की जिसके बाद ही दैनिक जागरण ने यह संभावना जताई थी कि वह अन्य नेताओं से भी माफी मांग सकते हैं जिसकी शुरुआत भी हो गई है। आने वाले दिनों में कई और नेताओं से भी वह माफी मांग सकते हैं।
कहा जा रहा है कि इनके पास अपने आरोप को साबित करने का कोई प्रमाण नहीं है। सिर्फ सियासी लाभ के लिए उन्होंने जो आरोप लगाए वे सभी हवा हवाई थे। इसलिए अदालत में उन पर कानूनी शिकंजा कसने के आसार बढ़ गए हैैं। उनकी कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है। ऐसे में शुरू में सियासी लाभ लेने के लिए लगाए गए आरोपों को वह धड़ाधड़ वापस ले रहे हैं।
यही कारण है कि दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी को उनके इस माफीनामे में भी साजिश लग रही है। वह कहते हैं कि देश में पहली बार कोई मुख्यमंत्री लिखित रूप में कह रहा है कि वह झूठ बोलता है। भाजपा-अकाली गठबंधन के विधायक व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि संवैधानिक पद पर बैठा हुआ एक व्यक्ति चुनाव में झूठ बोलकर वोट मांगने की बात लिखित रूप से कबूल कर रहा है। इससे मुख्यमंत्री की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है। लोग यह कैसे विश्वास करें कि केजरीवाल ने आजतक जो भी बात कही है वह सच है। इसलिए उन्हें नैतिक रूप से पद छोड़ देना चाहिए।