प्रधानमंत्री के निरोग भारत अभियान को बढ़ावा दे रही करोलबाग की अपर्णा
पूर्वाच्चल में जागरुकता अभियान को मिला दें तो लाभांवित महिलाओं व युवतियों की संख्या 25 हजार से अधिक हो जाती है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। करोलबाग की अपर्णा कपूरिया निरोग भारत अभियान की ऐसी दूत हैं जिनकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। प्रधानमंत्री जन औषधी अभियान से जुड़ी कपूरिया उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में आठ जन औषधी केंद्रों के माध्यम से न सिर्फ लोगों को सस्ती दवा पहुंचा रही है। बल्कि दिल्ली और इसके आस-पास की झुग्गी बस्तियों, गांवों की महिलाओं व युवतियों को भी मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर जागरूक कर रही है। इस लॉकडाउन में भी वह करोलबाग के आस-पास की झुग्गी बस्तियों व अनाथालयों में सैनेटरी पैड लेकर पहुंचती हैं, क्योंकि ऐसे समय में जब लॉकडाउन के कारण काफी लोगों का कामकाज प्रभावित हुआ है। तो घरों में काम करने के लिए महिलाओं को आने देने से अभी भी कतरा रहे हैं तो खुद के स्वास्थ्य पर खर्च में गरीब महिलाएं व युवतियां कटौती करने लगी हैं।
अपर्णा मूल रूप से बनारस की हैं। अब दिल्ली को अपना घर बना लिया है। इसी माह मार्च में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन औषधी अभियान से जुड़े तथा इसके लाभार्थियों से सीधे बातचीत की तो उसमें अपर्णा के प्रयासों को खास तौर पर सराहा। प्रधानमंत्री को यह बात बेहद पसंद आई कि मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर जागरुकता अभियान में उन्होंने महिला मित्र नामक टोलियां बनाई हैं। जो यूपी से लेकर दिल्ली तक में महिलाओं व युवतियों को जागरूक कर रही है और उन्हें स्वच्छ रहने का साधन मुहैया करा रही है। उनके तरनि फाउंडेशन द्वारा जागरुकता अभियान के तहत दिल्ली में विशेषकर स्कूलों की छात्राओं के लिए चिकित्सा कैंप लगवाई जाती है। वह मुफ्त में सैनेटरी नैपकिन बांटती है। इसके साथ कैल्शियम और आयरन गोली की जरूरत से भी अवगत कराती है। वह कहती है कि इस तरह वह दिल्ली के विभिन्न स्कूलों, बस्तियों को अलावा गाजियाबाद जैसे एनसीआर के जिलों में वह सात से 10 हजार से अधिक युवतियों व महिलाओं को जागरुक किया होगा।
पूर्वाच्चल में जागरुकता अभियान को मिला दें तो लाभांवित महिलाओं व युवतियों की संख्या 25 हजार से अधिक हो जाती है। स्वास्थ्य को लेकर लोगों को जागरुक करने के अभियान पर वह बताती है कि उनके पिता को कैंसर था। कैंसर की दवाएं बहुत महंगी होती है। इलाज को लेकर हुई दिक्कतों के दौरान दूसरों की दिक्कतों का भी पता चला। इसके साथ ही उनका समाज को स्वास्थ्य को लेकर जागरुक करने और जैनरिक दवाओं को बढ़ावा देने की अभियान की तरफ रूझान बढ़ा। अपने से जरूरतमंदों का आपरेशन व दवा मुफ्त उपलब्ध कराने का प्रयास होने लगा। 10 वर्ष से अधिक का यह सफर अब बड़े अभियान के साथ जीवन के लक्ष्य में बदल गया है। इसमें मेडिकल क्षेत्र से जुड़े पति का भी पूरा सहयोग मिलता है।