एक और बिल्डर पर चला कानून का डंडा, जब्त दो प्लाटों की होगी नीलामी
राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम के पत्र भेजने के बावजूद बकाया न चुकाने पर मंगलवार को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए थ्री सी बिल्डर के दो प्लॉट जब्त कर लिए।
नोएडा, जेएनएन। राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम के 34 करोड़ बकाया न चुकाने पर जिला प्रशासन ने मंगलवार को 3 सी बिल्डर के सेक्टर 127 स्थित दो हाउसिंग प्रोजेक्ट प्लाटों को जब्त कर लिया। इन दोनों प्लाटों की कीमत लगभग 50 करोड़ बताई जा रही है। जिला प्रशासन अब इन प्लाटों की नीलामी कर बकाया रकम की वसूली करेगा। यह कार्रवाई जिलाधिकारी के निर्देश पर दादरी तहसील के कर्मचारियों ने की।
हाउसिंग प्रोजेक्ट पर लगा अड़ंगा
एसडीएम अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि थ्री सी बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड के सेक्टर-127 में प्लाट नंबर- 8ए और 18 हैं। प्लाट नंबर-8ए 5,625 प्रतिवर्ग मीटर का है। वहीं, प्लाट नंबर-18 का दायरा 10,000 प्रतिवर्ग मीटर है। जानकारी के मुताबिक बिल्डर इन दोनों प्लाटों पर हाउसिंग प्रोजेक्ट लेकर आने वाला था। इन दोनों प्लाटों की कीमत करीब 50 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
निवासियों ने की शिकायत
3 सी बिल्डर के सेक्टर 110 स्थित लोटस पनासे प्रोजेक्ट के निवासी पिछले वर्ष राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में गए थे, जहां उन्होंने बिल्डर द्वारा सात वर्ष बाद भी पजेशन न देने की शिकायत दी थी। इसी पर सुनवाई करते हुए ये कार्रवाई की गई है। बिल्डर को 34,75,44,687 करोड़ रुपये बकाये के अदा करने थे।
27 अक्टूबर को भेजा था नोटिस
उन्होंने बताया कि प्रशासन का मानना है कि निवेशकों की शिकायत पर राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने बिल्डर को 27 अक्टूबर को बकाये का नोटिस भेजा था। यह नोटिस बिल्डर कंपनी के डायरेक्टर निर्मल सिंह, विधुर भारद्वाज और सुप्रीत सूरी सिंह के लिए भेजा गया था। इसके बावजूद इन्होंने यह रकम जमा नहीं कराई।
नोटिस को इग्नोर करन पड़ा महंगा
इसके बाद डीएम के निर्देश पर दोनों प्लाटों को जब्त कर लिया। वहीं, अब इन संपत्तियों को नीलाम करके बकाये की रकम वसूल की जाएगी। कहा जा रहा है कि बिल्डर इन पर हाउसिंग प्रोजेक्ट लेकर आने वाला था। इस पर कई लोगों ने निवेश किया है लेकिन प्लाटों के सीज होने से इस योजना के अधर में लटकने के कयास लगाए जा रहे हैं।
वादे के हिसाब से नहीं हो रहा था काम
निवेशक आजिम खान ने बताया कि सेक्टर 110 स्थित बिल्डर की लोटस पनासे की सोसायटी का पजेशन वर्ष 2012 में मिल जाना था। इसकी बुकिंग वर्ष 2009 में कराई गई थी। यहां करीब 4000 फ्लैट बनने हैं, लेकिन सिर्फ 1000 फ्लैटों को पजेशन दिया गया है। उनमें से कई की हालत खस्ता है।
कई बार बिल्डर से बात की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बिल्डर ने पैसा लेने के बाद उसे प्रोजेक्ट में लगाने के बजाय अन्य प्रॉपर्टी खरीदने में निवेश कर दिया। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर यहां के निवासी राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में पिछले वर्ष गए थे।
वहीं निवेशक विजय तहलानी ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि बिल्डर की ओर से इस आदेश पर पुन: विचार याचिका डाली गई थी, जिस पर 20 नवंबर को सुनवाई होनी है। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने कार्रवाई कर दी, जिस पर बिल्डर के प्रतिनिधि बुधवार को जिलाधिकारी से मिलेंगे।