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दिल्ली में पाक खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी कर रहा था कबाड़ी, पुलिस ने किया गिरफ्तार

संयुक्त आयुक्त क्राइम ब्रांच आलोक कुमार के मुताबिक मोहसिन मूलरूप से तुर्कमान गेट का ही रहने वाला है। एसीपी राजेश कुमार की टीम ने हबीब-उर-रहमान व परमजीत सिंह से पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार किया। इसे पाकिस्तान से हवाला के जरिए पैसा आता था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 09:12 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 09:12 PM (IST)
दिल्ली में पाक खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी कर रहा था कबाड़ी, पुलिस ने किया गिरफ्तार
आइएसआइ के लिए जासूसी करने के मामले में मोहसिन गिरफ्तार

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ (ISI) के लिए जासूसी करने के मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मोहसिन नाम के एक और आरोपित को गिरफ्तार किया है। उसे रविवार को तुर्कमान गेट से गिरफ्तार किया गया। वह तीन बार पाकिस्तान जा चुका है और लगातार पाकिस्तानी उच्चायोग के संपर्क में था। पेशे से कबाड़ी का काम करने वाला मोहसिन पाकिस्तान जाने वाले लोगों को वीजा दिलवाने में बिचौलिये का काम करता था। वह हबीब-उर-रहमान से तीन वर्षों से जुड़कर आइएसआइ के लिए जासूसी करने का काम कर रहा था।

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 इसे पाकिस्तान से हवाला के जरिए पैसा आता था, जिसे वह हबीब-उर-रहमान के जरिए सेना के लांस नायक परमजीत सिंह की बहन के बैंक खाते में भेज देता था। इसे कोर्ट में पेश कर पूछताछ के लिए पांच दिनों के रिमांड पर लिया गया है। इसे आइएसआइ व पाकिस्तान उच्चायोग के बीच का मुख्य किरदरा माना जा रहा है।

संयुक्त आयुक्त क्राइम ब्रांच आलोक कुमार के मुताबिक मोहसिन मूलरूप से तुर्कमान गेट का ही रहने वाला है। एसीपी राजेश कुमार की टीम ने हबीब-उर-रहमान व परमजीत सिंह से पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार किया। पिछले दिनों पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए राजस्थान के बीकानेर निवासी हबीब-उर-रहमान और सेना के आगरा कैंट में तैनात लांस नायक परमजीत सिंह से पूछताछ में क्राइम ब्रांच को अहम जानकारी मिली है।

हबीब-उर- रहमान पोखरण में सेना को ठेके पर रसद व मीट आपूर्ति करने का काम करता था, जबकि परमजीत सिंह आगरा में तैनात था। पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों ने पाकिस्तान का वीजा व मोटी रकम देने का हबीब-उर-रहमान को लालच दिया था। इसके बाद उसने सेना से जुड़े दस्तावेज आइएसआइ व हैंडलरों को वाट्स एप व इंस्टाग्राम के जरिए मुहैया कराने लगा था। उसने जासूसी के लिए आगरा कैंट में तैनात परमजीत को साजिश में शामिल कर लिया था। दस्तावेज मुहैया कराने के बाद हबीब-उर-रहमान परमजीत को हर महीने एक लाख रुपये देता था।


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