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जानिए, LG और CM केजरीवाल के बीच तनातनी की बर्फ कैसे पिघली

31 दिसंबर को दिल्ली के उपराज्यपाल की बागडोर अनिल बैजल के संभालने के बाद से उपराज्यपाल निवास और दिल्ली सचिवालय के बीच कोई नया विवाद नहीं जुड़ा है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 02 Feb 2017 04:34 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2017 04:57 PM (IST)
जानिए, LG और CM केजरीवाल के बीच तनातनी की बर्फ कैसे पिघली
जानिए, LG और CM केजरीवाल के बीच तनातनी की बर्फ कैसे पिघली

नई दिल्ली [ वीके शुक्ला ] । राजनिवास और दिल्ली सचिवालय के बीच दो साल से चल रही तनातनी को लेकर संबंधों पर जमीन बर्फ के पिघलने के आसार हैं।

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31 दिसंबर को दिल्ली के उपराज्यपाल की बागडोर अनिल बैजल के संभालने के बाद से उपराज्यपाल निवास और दिल्ली सचिवालय के बीच कोई नया विवाद नहीं जुड़ा है।

वहीं उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के एक कार्यक्रम में भी शामिल हो चुके हैं। अब ताजा मामले में उन्होंने आठ माह से लटकी एलईडी स्क्रीन लगाए जाने की दिल्ली सरकार की योजना को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने इस योजना की फाइल दिल्ली सरकार के पास भेजते हुए कहा है कि केंद्र सरकार के मैनुअल के तहत इस योजना पर काम करें।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में 20 हजार से अधिक एलईडी स्क्रीन लगवाए जाने की योजना बनाई थी।

इसके लिए 2015-16 के बजट में 137 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया था। योजना के तहत स्क्रीन को उन जगहों पर लगाया जाना है, जिन स्थानों पर दिल्ली सरकार के प्रचार बोर्ड लगे हुए हैं।

ये स्क्रीन खासकर प्रदूषण के स्तर, जन-जागरुकता संदेशों और यातायात संबंधित जानकारी लोगों तक पहुंचाने आदि के लिए काम करेंगी। इन्हें दिल्ली के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जाएगा।

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि इसके लिए बजट में 137 करोड़ रुपए की व्यवस्था है। अधिकारी की मानें तो दिल्ली भर में लगाई जाने के लिए प्रस्तावित इन स्क्रीन के माध्यम से जनहितैसी योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा।

अभी आइटीओ लालबत्ती पर भी ऐसी स्क्रीन लगी हुई है। इस स्क्रीन के माध्यम से यहां रोजाना 20 हजार से अधिक लोगों को जागरुक किया जा रहा है।

सरकार इन स्क्रीन के माध्यम से आय के साधन भी तलाश रही है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो इन स्क्रीन पर सरकारी विज्ञापन के अलावा अन्य कंपनियों के भी विज्ञापन दिखाए जाएंगे। इन विज्ञापन के माध्यम से प्रति वर्ष 20 से 50 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद भी है।

यहां बता दें कि इस योजना की फाइल मई-जून में उस समय के उपराज्यपाल नजीब जंग के पास स्वीकृति के लिए भेजी गई थी। दिल्ली सरकार ने इस योजना के बारे में उपराज्यपाल कार्यालय को बाद में भी अवगत कराया था। मगर फाइल आगे नहीं बढ़ी थी।


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