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महबूबा मुफ्ती के बयान से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच नाराज, कहा- वह देश छोड़ कहीं और तलाश लें ठिकाना

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा कि देश में आजकल एक नया चलन चल पड़ा है। जिसके तहत अपने राज्य में जो दुर्घटनाएं होती हैं उन पर मौन साध लेना और दूसरे राज्यों में जब दुर्भाग्य से कोई अफसोसनाक घटना हो जाए तो उस पर कोहराम मचाना।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 10:46 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 11:11 AM (IST)
महबूबा मुफ्ती के बयान से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच नाराज, कहा- वह देश छोड़ कहीं और तलाश लें ठिकाना
नाराज मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा- महबूबा मुफ्ती देश छोड़ कहीं और तलाश लें ठिकाना

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। यूपी के लखीमपुर खीरी और ड्रग केस में शाहरूख खान के बेटे आर्यन का नाम आने पर जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के ताजा बयान पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच सख्त नाराजगी जताई है। दरअसल, महबूबा का आरोप है कि शाहरूख खान के बेटे 'आर्यन' के नाम के पीछे 'खान' शब्द जुड़ा है, इसलिए उसको प्रताड़ित किया जा रहा है। इसके साथ ही केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र के बेटे के साथ सरकार नरमी से पेश आ रही है। इस पर  मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने देश के दोमुंह नेताओं को कड़ा संदेश देने का काम किया है। मंच ने साफ तौर पर कहा कि अब समय आ गया है कि महबूबा मुफ्ती जैसे लोगों को देश छोड़कर कहीं और बसेरा ढूंढ़ लेना चाहिए। मंच के राष्ट्रीय संयोजक, सह संयोजक एवं कार्यकारिणी के सदस्यों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत में गद्दार, स्वार्थी, दोहरे चरित्रों व मापदंडों वाले नेताओं के लिए कोई स्थान नहीं है।

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मंच का आरोप है कि सेक्युलरिज्म के ठेकेदार मजहब का गंदा खेल खेलने से बाज आ जाएं। मंच का कहना है कि ओवैसी जैसे नेताओं पर भी प्रतिबंध लगा देना चाहिए जो आपनी नापाक जुबान से हर समय देश की अवाम को बांटने पर आमादा रहते हैं। 

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा कि देश में आजकल एक नया चलन चल पड़ा है। जिसके तहत अपने राज्य में जो दुर्घटनाएं होती हैं उन पर मौन साध लेना और दूसरे राज्यों में जब दुर्भाग्य से कोई अफसोसनाक घटना हो जाए तो उस पर कोहराम मचाना और घटना के लिए केंद्र की सरकार को कोसना फैशन बन गया है, जबकि असलियत यह है कि सेक्युलरिज्म के ठेकेदार मजहब के नाम पर मात्र लड़वाने का काम करते हैं। ऐसे राजनेता मुस्लिम समाज के हिमायती नहीं, बंधुआ मजदूर बना के रखना चाहते हैं।

70 वर्षों से यही डर दिखा कर सेक्युलरिज्म के ठेकेदार अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। लेकिन जनता अब जागरुक हो चुकी है यही कारण है कि देश में ऐसी सरकार है जिसका नारा ही सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है। ऐसे में सेक्युलरिज्म के ठेकेदार अपना मानसिक संतुलन खो कर अनाप-शनाप बोलते रहते हैं।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कहना है कि महबूबा के सारे आरोप पूरी तरह निराधार और बेबुनियाद हैं। मंच का यह भी कहना है कि कश्मीर में आतंकियों ने चुनचुन कर हिंदुओं और सिखों का जघन्य हत्याकांड किया है, लेकिन ऐसी बर्बरता पर महबूबा की जुबान को ताले पड़ जाते हैं। मंच का कहना है कि यह वहीं महबूबा हैं जिन्होंने अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाए जाने का विरोध किया था और उसपर खून की नदियां बहेगी ऐसी धमकियां भी दी थी। वहीं, अब लखीमपुर खीरी की घटनाओं का उल्लेख कर के महबूबा ने एक बार फिर मगरमच्छी आंसू बहाए हैं।

 मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने यह भी कहा कि जिस तरह खेल में डोपिंग जांच के जरिए कड़ा कदम उठाया जाता है उसी तरह बालीवुड में नशे से जुड़े लोगों पर कड़ी लगाम लगानी चाहिए और इसके तहत शाहरुख खान पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार द्वारा प्रायोजित बंद भी इसी दोहरे आयाम के रूप में देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में जो हिंसक घटना हुई उसको अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के नशीली पदार्थों के मामले में गिरफ्तारी के साथ जोड़ना ऐसी ही ओछी और शर्मनाक हरकत है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कुछ राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीतिक रोटिंयां सेंकने के लिए दोहरे मापदंडों और बेशर्मी पर उतर आए हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री का बयान भी इसी प्रकार का है। 

जानिये-मंच के राष्ट्रीय संयोजक, प्रभारी, सह संयोजक एवं कार्यकारिणी के सदस्यों के नाम

मो. अफ़ज़ाल, गिरीश जुयाल, अब बकर नक़वी, डॉ. शाहिद अख्तर, एस के मुद्दीन, इरफान अली, इस्लाम अब्बास, रज़ा रिज़वी, स्वामी मुरारी दास, रेशम हुसेन, डॉ. माजीद अहमद तालिकोटी, शाहिद सईद, के डी हिमाचली, डॉ. इमरान चौधरी, हाजी जहीर अहमद, हसन कौसर, अबरार अहमद, एडवोकेट शोएब खान, मो. अजरुद्दीन, इस्लाम खान, डॉ. हसन नूरी, अली अफ़ज़ाल चंद, मो. र्फक, आबिद शेख, अल्तमश बिहारी, फारूक खान, ऐनुल हुडा, सलीम खान पठान, डॉ. जावेद अंसारी, एम ए सत्तार, इल्यास अहमद, मुख्तार बाशा, नज़ीर मीर, डॉ. सलीम राज, मो. फैज खान, शहनाज़ अफ़ज़ाल, शालिनी अली, फातिमा अली, खुर्शीद राजाका, मौ. कोकब मुज्तबा, मौ. इरफान, ठाकुर राजा रईस, सय्यद फैय्याजुद्दीन, डॉ. ताहिर हुसेन, फारुख अहमद खान, प्रोफे. इमरान हुसेन, प्रोफे. अशफ़ाक़ आलम, मो. मज़ाहिर खान, अजीमुल हक़, एडवोकेट शीराज़ कुरेशी, बिलाल उर रहमान, बदरुद्दीन हलानी, भारत रावत, तुषार कांत, गुलशन कुमार, दीपक कुमार के नाम शामिल हैं।


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