New Education Policy : दिल्ली में बालवाटिका में तब्दील नहीं होगी आंगनवाड़ी, कोई कन्फ्यूजन है तो पढ़िए पूरी खबर
New Education Policy नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद शिक्षा मंत्रलय ने स्कूली शिक्षा के इस प्रस्तावित ढांचे को जमीन पर उतारने को लेकर काम शुरू कर दिया है। साथ ही आने वाले तीन सालों में सभी सरकारी स्कूलों में बालवाटिका खोलने का लक्ष्य रखा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। New Education Policy: स्कूली शिक्षा के नए प्रस्तावित ढांचे में अभी भले ही आंगनवाड़ी को शामिल किया गया है, लेकिन आने वाले दिनों में सभी सरकारी स्कूलों में बालवाटिका ही स्थापित होगी। जहां तीन से छह साल तक की उम्र के बच्चों को प्ले स्कूल जैसी शिक्षा दी जाएगी। इन्हीं तीन सालों में बच्चों में शुरुआती पढ़ाई के बीज रोपे जाएंगे। फिलहाल बालवाटिका को कुछ इस तरह डिजाइन किया जा रहा है, जिससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति एक नई रुचि पैदा हो।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद शिक्षा मंत्रलय ने स्कूली शिक्षा के इस प्रस्तावित ढांचे को जमीन पर उतारने को लेकर काम शुरू कर दिया है। साथ ही आने वाले तीन सालों में सभी सरकारी स्कूलों में बालवाटिका खोलने का लक्ष्य रखा है। मंत्रालय के मुताबिक, देश के करीब 18 हजार सरकारी स्कूलों में इसे लेकर काम शुरू हो गया है। एनसीईआरटी ने इसके लिए एक नया पाठ्यक्रम भी तैयार किया है। जिसमें बच्चों को खिलौना आधारित शिक्षा देने की प्रमुखता से पहल की गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्कूली शिक्षा के शुरुआत के इन तीन सालों को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। शिक्षा मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, आंगनवाड़ी की एक अलग भूमिका है। जिसका महिलाओं और बच्चों के पोषण पर मुख्य रूप से फोकस है, जो जारी रहेगी। लेकिन बालवाटिका में बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई से जोड़ने की सोच है। फिलहाल जब तक सभी सरकारी स्कूलों में बालवाटिका नहीं स्थापित हो जाती है, तब तक आंगनवाड़ी ही बालवाटिका के रूप में काम करेगी।
फिलहाल स्कूली शिक्षा का जो ढांचा तैयार किया गया है, उसमें शुरुआती पांच साल की शिक्षा को फाउंडेशनल स्टेज नाम दिया गया है। जिनमें प्रारंभिक तीन साल बालवाटिका, प्ले स्कूल या आंगनवाड़ी के होंगे। इसमें तीन साल की उम्र से दाखिला देने की व्यवस्था है। इस स्टेज के बाकी दो सालों में पहली और दूसरी कक्षा की पढ़ाई होगी।
इसमें छह से आठ साल की उम्र के बच्चों को दाखिला मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक, इस पूरी व्यवस्था में आंगनवाड़ी को इसलिए भी शामिल किया गया है, क्योंकि अभी सरकारी स्कूलों में कहीं भी प्री-प्राइमरी यानी बालवाटिका नहीं है। अभी तीन से छह साल की उम्र के बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में ही जाते हैं।