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कोरोना संकट की अनिश्‍चितता और आशंका के बीच कैसे जलाएं संकल्‍प का दीपक

आज की दीपावली सबसे अलग है। कोरोना संकट की अनिश्‍चितता और आशंका के बीच। ऐसा शायद पहले कभी नहीं हुआ जब इस तरह से कोई बड़ा त्‍योहार मनाया जा रहा हो। हालांकि ऐसे तमाम लोग हैं जिन्‍होंने डर को खुद पर हावी नहीं होने दिया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 12:21 AM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 12:21 AM (IST)
कोरोना संकट की अनिश्‍चितता और आशंका के बीच कैसे जलाएं संकल्‍प का दीपक
आपको भी किसी बाहरी मदद की अपेक्षा करने के बजाय अपने भीतर संकल्‍प का दीपक हमेशा जलाकर रखना चाहिए

नई दिल्‍ली, अरुण श्रीवास्‍तव। कुछ साल पहले का वह दृश्‍य मैं आज भी नहीं भूल पाता, जब जून की भरी दोपहरी में उस रिक्‍शे वाले को देखा था, जो पसीने से तरबतर होने के बावजूद आठ-दस वजनी टायरों से लदे अपने रिक्‍शे को महज एक हाथ से खींचे जा रहा था। दरअसल, वह उसका एक हाथ नहीं था। पर उसमें स्‍वाभिमान रत्‍ती भर भी कम नहीं था। इस खुद्दारी की वजह से ही वह चुनौतीभरा काम भी बड़ी सहजता से कर रहा था। हममें से हर किसी को अपनी जिंदगी में छोaटी-बड़ी मुश्‍किलों का सामना करना ही पड़ता है। शायद ही कोई होगा, जिसके जीवन में कभी कोई मुश्‍किल, दुख, कष्ट न आया हो।

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यह समझने की बात है कि मुश्‍किलें/कठिनाइयां हमें पीछे ले जाने के बजाय संघर्ष की ताकत देती हैं, जिससे हमें आगे बढ़ने में सक्षम हो पाते हैं। कुछ कठिनाइयां ऐसी होती हैं, जिनका हमारे पास कोई सटीक हल नहीं होता। ऐसी समस्‍याओं को लेकर परेशान होने का कोई मतलब नहीं होता। हां, जिन परेशानियों/तकलीफों/समस्‍याओं का हल हम अपने पुरुषार्थ से तलाश सकते हैं, बेशक उनके लिए किसी बाहर मदद की उम्‍मीद में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना उचित नहीं।

कुछ लोग छोटी-छोटी समस्‍याओं से भी परेशान होकर उसे पूरी तरह ओढ़ लेते हैं। उनके हावभाव, गतिविधियों से यही प्रतीत होता है, जैसे सबसे ज्‍यादा मुसीबत में वही हैं जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता। बाहर से मदद की उम्‍मीद करने की चाहत और आदत के कारण ऐसे लोग अक्‍सर अपने भीतर झांककर नहीं देख पाते कि उन समस्‍याओं का हल खुद उन्‍हीं के पास है। ऐसे लोग अक्‍सर नकारात्‍मक सोच के शिकार होकर अपना ही नुकसान करते जाते हैं। हां, जब कभी उन्‍हें अपनी इस गलती का एहसास हो जाता है, उसी समय से उनकी समस्‍याएं खत्‍म होनी शुरू हो जाती हैं।

औरों का दुख कहीं अधिक बड़ा है! : जीवन, रोजगार, नौकरी, घर-परिवार, सेहत आदि के मामले में जब कभी आपको अपना दुख बड़ा लगने लगे, आप उन लोगों को देख लें, उनके बारे में सोच लें जो आपसे कहीं ज्‍यादा तकलीफ में होने के बावजूद उसका रोना रोने के बजाय खुशी-खुशी न सिर्फ सामान्‍य जीवन जी रहे हैं, बल्‍कि यथासंभव औरों की मदद के लिए भी आगे रहते हैं। ऐसे लोग उनके लिए बड़ी प्रेरणा हो सकते हैं, जो सब कुछ ठीक, संतोषजनक होने के बावजूद मन से दिव्‍यांग होने के कारण हर समय दुखी, निराश और असंतुष्‍ट नजर आते हैं। वे सुखी जीवन का सपना तो देखते हैं, पर यह नहीं समझ पाते कि उस सुख का राज तो उन्‍हीं के पास है और वह है अपने नकारात्‍मक नजरिए को दूर कर सकारात्‍मकता को अपनाना।

तलाशें नए रास्‍ते : अगर इस कोरोना काल में रोजगार, नौकरी के मोर्चे पर आपको भी कोई दिक्‍कत हुई है, तो हताश होने के बजाय अपनी क्षमताओं को परखते हुए अपने लिए नए रास्‍तों की तलाश करें। इस क्रम में कुछ नया भी सीखने, जानने की जरूरत पड़े, तो संकोच न करें। किसी काम को छोटा न समझें। अपने आत्‍मविश्‍वास और स्‍वाभिमान को बनाए रखते हुए कदम बढ़ाएंगे, तो कामयाबी जरूर मिलेगी। अगर आपका रोजगार धीमा पड़ गया है या नौकरी के मोर्चे पर अनिश्‍चितता दिख रही है, तो सजग रहते हुए अपनी स्‍किल को बढ़ाने और नई चीजें सीखने पर गौर करें। यह न सोचें कि अब इस उम्र में क्‍या सीखेंगे। सीखने, जानने की कोई उम्र नहीं होती। ऐसा करने से न सिर्फ आपका आत्‍मविश्‍वास बढ़ेगा, बल्‍कि आपके लिए नई राहें भी खुलेंगी।

जलाएं मन के दीये : आगे बढ़ने के लिए जरूरी है अपनी क्षमताओं पर भरोसा करना। आपको कहीं बाहर से उम्‍मीद करने से पहले खुद अपने मन के दीये को जलाकर रखना चाहिए, तभी आपका मनोबल और आत्‍मविश्‍वास ऊंचा बना रहेगा। इसकी झलक आपके शारीरिक हावभाव, बोलचाल, व्‍यवहार से दिखेगी, तो मिलने वाले भी आपसे प्रभावित होंगे। मन का दीपक बुझा होगा, तो सक्षम होते हुए भी आप निष्‍प्रभावी होंगे और रास्‍ते बंद होते हुए नजर आएंगे। ऐसी स्‍थिति से खुद को बचाने का भरसक प्रयास करें। कोशिशों में असफलता मिले, तो उससे घबराएं नहीं, बल्‍कि उससे सीखें। उसे सफलता की सीढ़ी बना लें। उससे मिले सबक को ध्‍यान में रखेंगे, तो उन गलतियों से बचकर आगे बढ़ सकेंगे।

इन सीखों पर करें गौर

  • जो हमारे वश में नहीं है, उसको लेकर परेशान होने के बजाय जो आप कर सकते हैं, उसे पूरी ईमानदारी और मेहनत से करें।
  • दूसरों के सुख और तरक्‍की से ईर्ष्‍या करने के बजाय उनकी अच्‍छाइयों को जानने और उसे सीखने पर ध्‍यान दें।
  • कौन क्‍या कर रहा है, इस पर ध्‍यान देने के बजाय अपने और अपने काम पर ध्‍यान देंगे, तो काम भी समय से पूरा होगा और आपके भीतर व्‍यर्थ के विचार आकर परेशान नहीं करेंगे।
  • खुद का सकारात्‍मक बनाए रखने और इसी दिशा में लगातार आगे बढ़ने के लिए अच्‍छी किताबें पढ़ें, अच्‍छे लोगों से मिलें, महापुरुषों के विचार और उनके जीवन से सीखें।
  • तरक्‍की की राह पर लगातार आगे बढ़ना चाहते हैं, तो हरदम नया सीखने को तत्‍पर रहें और चुनौतियों से भागने के बजाय उनका आगे बढ़कर सामना करें।

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