Kisan Andolan के कारण तीन महीने से झाड़ौदा बार्डर रविवार को खुला, ग्रामीणों ने कहा- यह हमारी जीत
झाड़ौदा गांव निवासी अशोक पंडित ने बताया कि हमलोग इन प्रदर्शनकारियों की वजह से पिछले तीन महीने से बंधक बने हुए थे। बार्डर पर आवागमन बंद होने के कारण किसान अपनी सब्जी बेचने के लिए बहादुरगढ़ की ओर नहीं जा पा रहे थे।
नई दिल्ली [भगवान झा]। टीकरी बार्डर पर कृषि कानून के विरोध में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों की वजह से आवागमन के लिए बंद झाड़ौदा बार्डर को पुलिस ने रविवार दोपहर को खोल दिया। पुलिस की इस पहल के बाद नजफगढ़ इलाके से बहादुरगढ़ जाना आसान हो गया है। बार्डर बंद होने के चलते ग्रामीणों को करीब दस किलोमीटर की दूरी अतिरिक्त तय करनी पड़ रही थी। साथ ही झाड़ौदा गांव के निवासियों का आर्थिक नुकसान भी हो रहा था।
झाड़ौदा गांव निवासी अशोक पंडित ने बताया कि हमलोग इन प्रदर्शनकारियों की वजह से पिछले तीन महीने से बंधक बने हुए थे। बार्डर पर आवागमन बंद होने के कारण किसान अपनी सब्जी बेचने के लिए बहादुरगढ़ की ओर नहीं जा पा रहे थे।
लोग गांव की गलियों व खेतों से अपने वाहन निकालते थे। हमारी फसल बर्बाद हो रही थी। इससे आजिज आकर एक मार्च को हमने कृषि कानून विरोधियों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया था और पुलिस अधिकारियों से अपील की थी कि जल्द से जल्द बार्डर को आवागमन के लिए खोल दिया जाए। इसके बाद हमने तिरंगा यात्रा भी निकाली। अब इस बात की खुशी है कि पुलिस अधिकारी ने हमारी परेशानी को समझा और बार्डर को पूरी तरह से खोल दिया गया। उधर, दिल्ली यातायात पुलिस ने भी ट्विट कर झाड़ौदा बार्डर के खुलने की जानकारी दी है।
चारस्तरीय थी बैरिकेडिंग
26 जनवरी को राजधानी में झाड़ौदा बार्डर से दिल्ली में उपद्रवियों ने प्रवेश किया था और नजफगढ़ व उत्तम नगर इलाके में जमकर उत्पात मचाया था। इसके बाद पुलिस ने एहतियात बरतते हुए झाड़ौदा बार्डर पर चार स्तरीय बैरिकेडिंग कर दी थी। सबसे पहले लोहे के बैरिकेड लगाए गए थे। इसके बाद कंक्रीट के बैरियर थे। तीसरे स्तर पर ट्रक में मिट्टी भरकर खड़ा कर दिया गया था और इसके बाद फिर से एक कंक्रीट का बैरियर बना दिया गया था। कंक्रीट के बैरियर हटाने में पुलिस को तीन दिन का समय लग गया।