अमेरिकी दंपती ने घर में किलकारी के लिए बच्ची को लिया गोद, लेकर जाने की हसरत रह गई अधूरी, पढ़िए स्टोरी
हिंदूू दत्तक ग्रहण एवं रखरखाव अधिनियम-1956 (हामा) के तहत हिंदूू बच्ची को गोद लेने के बाद भी ईसाई दंपती उसे विदेश नहीं ले जा पा रहा है। अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) का आवेदन निरस्त करने के सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथारिटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई।
नई दिल्ली, [विनीत त्रिपाठी]। हिंदूू दत्तक ग्रहण एवं रखरखाव अधिनियम-1956 (हामा) के तहत हिंदूू बच्ची को गोद लेने के बाद भी ईसाई दंपती उसे विदेश नहीं ले जा पा रहा है। अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) का आवेदन निरस्त करने के सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (कारा) के फैसले को चुनौती देते हुए दंपती ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका पर न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि गोद लेने के संबंध में प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए। बच्ची का कल्याण सवरेपरि है। एनओसी से इन्कार करने की वैधता की कोर्ट जांचेगा। कारा को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने चार सप्ताह में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी। पीठ ने याचिकाकर्ता, गोद ली गई बच्ची, उसके रिश्तेदार व दत्तक प्रक्रिया पूरी कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।
पितृत्व की घोषणा के संबंध में याचिकाकर्ताओं ने पंजाब के फिरोजपुर में सिविल जज सीनियर डिविजन के समक्ष वर्ष 2016 में वाद दाखिल किया था। कोर्ट ने यह कहते हुए पितृत्व की घोषणा करने से इन्कार कर दिया कि हामा-1956 ईसाइयों पर लागू नहीं होता है। याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की मांग को लेकर 26 अक्टूबर 2016 को कारा में आवेदन किया। कारा ने 10 जुलाई 2020 को आवेदन निरस्त कर प्रक्रिया में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का संकेत भी दिया।
याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता ने 11 दिसंबर 2014 को फिरोजपुर में जन्म लेने वाली बच्ची को 18 दिसंबर 2016 को हामा-1956 के तहत गोद लिया था। हामा के तहत दत्तक ग्रहण का पंजीकरण भी हुआ। बच्ची को गोद लेने वाला ईसाई दंपती अमेरिका के नागरिक हैं। बच्ची का पासपोर्ट न बनने के कारण वह केरल में याचिकाकर्ता दंपती के स्वजन के पास रह रही है।