Move to Jagran APP

कभी इस एक्टर की नहीं हो पा रही थी शादी, अब निभा रहे 2 बीवियों के पति का रोल, पढ़िए- रोचक स्टोरी

एक्टर टीकू तलसानिया का कहना है कि दिल्ली आने पर यहां के जायके बहुत पसंद आए। छोले भटूरे कबाब...हमेशा के लिए मेरी पसंद बन गए।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 11:47 AM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 12:04 PM (IST)
कभी इस एक्टर की नहीं हो पा रही थी शादी, अब निभा रहे 2 बीवियों के पति का रोल, पढ़िए- रोचक स्टोरी
कभी इस एक्टर की नहीं हो पा रही थी शादी, अब निभा रहे 2 बीवियों के पति का रोल, पढ़िए- रोचक स्टोरी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 200 से ज्यादा फिल्में की और टीवी शो से बनाई अलग ही पहचान है इनकी। हम बात कर रहे हैं अभिनेता टीकू तलसानिया की। अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1986 में आई फिल्म प्यार के दो पल से की थी। फिल्मी करियर में तमाम तरह के किरदार निभाए लेकिन लोग आज भी उन्हें उनके कॉमेडी रोल्स के लिए जानते हैं। टीकू लंबे अर्से बाद दिल्ली में थियेटर कर रहे हैं। ‘तेरा क्या होगा वालिया’ का मंचन में मंडी हाउस में इसी रविवार इन्हें मंचन करते देख सकते हैं। इरी नाटक समेत दिल्ली से जुड़े किस्सों पर टीकू तलसानिया से संजीव कुमार मिश्र ने विस्तार से बातचीत की प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश : 

loksabha election banner

परिवार में सभी डॉक्टर रहे, शायद आपसे भी यही उम्मीद रही होगी, लेकिन आप कलाकार बन गए?

मेरे परिवार में कई डॉक्टर रहे। पिता, मामा और बहनें सब डॉक्टर। मुझे डॉक्टर नहीं बनना था। क्योंकि डॉक्टरी के लिए बहुत पढ़ाई करनी होती है। पढ़ना मुझे पसंद नहीं था। खैर, इसी जद्दोजहद के बीच एक दिन एक परिचित ने प्रोफेशनल थियेटर में काम करने के लिए बुलाया। बस फिर क्या था, तभी से एक्टिंग का ऐसा चस्का लगा कि इसे ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया।

सुना है आपके थियेटर ज्वाइन करने के बाद पिता को यह टेंशन थी कि आपकी शादी हो भी पाएगी या नहीं?

जी हां, ये सच है। हमारे गुजराती समाज में यदि कोई अभिनेता बन जाता है तो उसे नाटकिया कहकर बुलाते हैं। यह माना जाता है कि यह थियेटर आदि में ही काम कर पाएगा और कोई काम नहीं कर पाएगा, इसलिए कोई अभिभावक लड़की देना पसंद नहीं करता था। हालांकि, मैं लकी हूं। मेरी शादी सकुशल हुई और दो खूबसूरत बेटे हैं।

शुरुआत गुजराती थियेटर से हुई, फिर हिंदी सिनेमा में आना हुआ। कैसे?

मैंने शुरुआत गुजराती थियेटर से की थी। एक दिन एक नाटक का मंचन हो रहा था, जिसका नाम किसमिश था। यह एक अंग्रेजी प्ले का एडाप्शन था। नाटक देखने फिल्म निर्देशक कुंदनशाह आए थे। नाटक के बाद उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि एक फिल्म में काम करोेगे? इस तरह ‘ये जो जिंदगी है’ में रोल मिला। मैंने हामी भर दी...यहीं से सिलसिला शुरू हो गया।

तेरा क्या होगा वालिया, में अपने रोल के बारे में थोड़ा बताएं?

बहुत ही दिलचस्प नाटक है। मेरा रोल दर्शकों को पसंद आएगा। एक आदमी की दो पत्नियां हैं। वो किसी तरह मैनेज कर रहा है? उसकी दो जिंदगी दो पत्नियों के बीच पिस जाती है। किसी तरह वो मैनेज कर रहा है, लेकिन अचानक एक सड़क हादसा नाटक को रोमांचक बना देता है। क्या वालिया पकड़ा जाता है? क्या होता है उसके साथ? ये तो आप संडे को थियेटर जाकर देखिएगा।

 पहली बार दिल्ली आने या किसी खास आयोजन से जुड़ी यादें साझा करना चाहे तो?

मैं ट्रेवलर हूं। बाइक से यात्राएं करता रहता हूं। लद्दाख तक जा चुका हूं। पहली बार दिल्ली भी घूमने के लिए ही आया। फूडी बहुत हूं। दिल्ली आने पर यहां के जायके बहुत पसंद आए। छोले भटूरे, कबाब...हमेशा के लिए मेरी पसंद बन गए। बहुत पहले एक सीरियल किया था, जिसका नाम था और फिक्र ने कहा...यह अखबार में फिक्र जी के प्याज के छिलके नाम के कॉलम पर आधारित थी। हमने इसकी शूटिंग दिल्ली में मई महीने में की थी। इतनी गर्मी में शूटिंग का अनुभव आज तक जेहन में कैद है।

दिल्ली में कहां घूमना, कोई खास खाना आपको पसंद हो।

दिल्ली से अब तो दिल का रिश्ता बन गया है। यहां घूमने लायक कई जगह हैं। खाने की इतनी वैराइटी है कि कहा ही क्या जाए। मैं तो दिल्ली की हर गली घूमना चाहता हूं।

जानें- दिल्ली में कैसे पा सकेंगे Free Wi-Fi, रेंज बदलने पर भी इंटरनेट नहीं होगा डिस्कनेक्ट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.