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Air Pollution: क्यों बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों की वायु गुणवत्ता है ज्यादा खराब?

Delhi Air Pollution प्रदूषण के स्तर में स्थायी कमी लाने के लिए वाहनों उद्योग बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए त्वरित क्षेत्रीय सुधारों और ठोस कार्रवाई की जरूरत है। इस बार सर्दियों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में एनसीआर में प्रदूषण उतना अधिक नहीं था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 01:12 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 01:12 PM (IST)
Air Pollution: क्यों बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों की वायु गुणवत्ता है ज्यादा खराब?
दिल्ली में वायु प्रदूषण का फाइल फोटो

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की तरफ से गंगा के मैदानी इलाके के शहरों में शीतकालीन वायु प्रदूषण (11 जनवरी 2021 तक) पर किया गया विश्लेषण बताता है कि बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों की वायु गुणवत्ता ज्यादा खराब है। भारत में गंगा के मैदानी इलाकों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहर निगरानी स्टेशनों से वास्तविक समय के आंकड़ों का विश्लेषण इस साल शीतकालीन प्रदूषण में नए पैटर्न दिखाता है। इस बार सर्दियों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में एनसीआर में प्रदूषण उतना अधिक नहीं था।

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सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी के मुताबिक, लाकडाउन के दौरान वायु प्रदूषण में नाटकीय कमी के बावजूद, स्थानीय और क्षेत्रीय प्रदूषण के चलते लाकडाउन हटते ही प्रदूषण बढ़ने लगा है।

प्रदूषण के स्तर में स्थायी कमी लाने के लिए वाहनों, उद्योग, बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए त्वरित क्षेत्रीय सुधारों और ठोस कार्रवाई की जरूरत है। विश्लेषण के मुताबिक पीएम 2.5 का उच्च स्तर एक सर्दियों की सामान्य स्थिति है, क्योंकि सर्दियों में वाहन, उद्योग, निर्माण आदि से होने वाले निरंतर उत्सर्जन और मौसम संबंधी परिवर्तनों के कारण वातावरण में प्रदूषक तत्वों का जमाव होने लगता है।

मानसून की वजह से पीएम 2.5 का औसत स्तर पिछले साल की तुलना में कम रहा

वहीं, सीएसई के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी कहते हैं, इस साल गंगा के उत्तर और दक्षिण के मैदानी क्षेत्रों के बीच शीतकालीन प्रदूषण पैटर्न में स्पष्ट अंतर है। भले ही 2020 में गर्मियों और मानसून की वजह से पीएम 2.5 का औसत स्तर पिछले साल की तुलना में कम रहा है, लेकिन पंजाब और लगभग सभी निगरानी केंद्रों वाले शहरों में पीएम 2.5 का स्तर 2019 के स्तर से ज्यादा रहा है। यह विश्लेषण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आधिकारिक आनलाइन पोर्टल सेंट्रल कंट्रोल रूमफोर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रियल-टाइम डेटा पर आधारित है।

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