दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण पर तीसरी बैठक 5 दिसंबर को, पिछली बैठक से गायब थे कई लोग
Air Pollution दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण घटाने को लेकर किए गए उपाय भी नाकाफी साबित होने लगे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर शीर्ष अदालत के साथ संसद भी गंभीर है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की तीसरी बैठक पांच दिसंबर को बुलाई गई है। इस बार की बैठक में स्थायी समिति ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक समेत कई और विशेषज्ञों को बुलाया है, जो स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभावों का ब्योरा प्रस्तुत करेंगे। इससे पहले 15 और 20 नवंबर को स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई थी।
बढ़ रहे वायु प्रदूषण की समस्या पर होगा विचार
समिति के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने बताया कि बैठक में दिल्ली व एनसीआर के सभी शहरों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण की समस्या पर विचार किया जाएगा। इसमें शहरी विकास मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय के सचिवों के साथ इन नगरों के निकाय प्रमुखों व आयुक्तों को बुलाया गया है। शहर में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अफसरों को भी हिस्सा लेने को कहा गया है। केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के साथ दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के आला अफसर हिस्सा लेंगे। इससे पहले 15 नवंबर की बैठक में सदस्यों के न आने से जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली शहरी विकास मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की काफी चर्चा होने लगी थी।
समिति स्मॉग की समस्या पर गंभीर
समिति एनसीआर में स्मॉग की समस्या को लेकर बहुत गंभीर है। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। वायु प्रदूषण की गंभीर दशा के चलते दिल्ली और आसपास के शहरों में रहने वालों को सांस लेना मुश्किल हो गया।
प्रदूषण से घटने लगी है लोगों की उम्र
दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा के बीच पराली जलाने को लेकर तल्खी भरे आरोप प्रत्यारोप लगते रहे हैं। पाल ने अध्ययनों का हवाला देकर बताया कि वायु प्रदूषण के चलते यहां रहने वालों की आयु घटने लगी है। यह बहुत चिंता का विषय है। दिल्ली महानगर में बढ़ते वाहनों की संख्या, गंदगी, धूल, उचित सफाई का अभाव, कूड़ा निस्तारण और औद्योगिक गतिविधियों के चलते प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य के लिए घातक स्तर के इर्दगिर्द ही रहता है।
नाकाफी साबित हो रहे उपाय
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण घटाने को लेकर किए गए उपाय भी नाकाफी साबित होने लगे हैं। दिल्ली से होकर आने-जाने वाले भारी वाहनों के लिए ईस्टर्न पेरिफेरल सड़कें बना दी गई हैं। वाहनों की संख्या घटाने के लिए एक निश्चित अवधि में ऑड-इवेन प्रणाली शुरू की गई। इसके बावजूद बात नहीं बन पा रही है। इससे महानगर के लोगों का जीवन स्तर बहुत दयनीय हो गया है। संसदीय समिति की बैठक में इस पर काबू पाने के उच्च स्तरीय उपाय पर विचार किया जाएगा।