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Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर की हवा खराब, आज हो सकता है प्रदूषण के स्तर में थोड़ा सुधार

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार हवा की गति मध्यम स्तर की रही। इस वजह से प्रदूषण के स्तर में थोड़ी कमी आई। हवा की गति थोड़ी बढ़ने पर सोमवार को प्रदूषण के स्तर में कुछ और सुधार होने का अनुमान है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 10:52 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 10:52 AM (IST)
Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर की हवा खराब, आज हो सकता है प्रदूषण के स्तर में थोड़ा सुधार
गाजियाबाद व नोएडा में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में थोड़ी गिरावट हुई है। इसके बावजूद आबोहवा बेहद गंभीर श्रेणी में ऊपरी स्तर पर बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार हवा की गति मध्यम स्तर की रही। इस वजह से प्रदूषण के स्तर में थोड़ी कमी आई। हवा की गति थोड़ी बढ़ने पर सोमवार को प्रदूषण के स्तर में कुछ और सुधार होने का अनुमान है। फिर भी एयर इंडेक्स अगले दो दिनों तक बेहद खराब श्रेणी में बरकरार रहेगा। दिल्ली-एनसीआर में स्थिति यह है कि दिल्ली, फरीदाबाद व गुरुग्राम में रविवार को एयर इंडेक्स बेहद गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। वहीं गाजियाबाद व नोएडा में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।

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सीपीसीबी के अनुसार दिल्ली में एयर इंडेक्स 389 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में है। एक दिन पहले फरीदाबाद व गुरुग्राम को छोड़कर दिल्ली सहित एनसीआर के अन्य शहरों में एयर इंडेक्स गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया था। तब दिल्ली का एयर इंडेक्स 404, गाजियाबाद का 438, नोएडा का 414 व ग्रेटर नोएडा का एयर इंडेक्स 408 था। रविवार को दिल्ली के अलावा ग्रेटर नोएडा का भी एयर इंडेक्स 400 से नीचे दर्ज किया गया।

सफर इंडिया के अनुसार दिल्ली के वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)-10 की मात्रा 365 से घटकर 332 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर व पीएम-2.5 की मात्रा 217 से घटकर 201 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। इस वजह से प्रदूषण के स्तर में थोड़ी कमी हुई है।

पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने की 167 घटनाएं सामने आई। एक दिन पहले पराली जलाने की 296 घटनाएं सामने आईं थी। इस तरह पराली जलाने की घटनाएं कम हो चुकी हैं। वहीं पराली का धुआं दिल्ली पहुंचने के लिए अनुकूल मौजूदा परिस्थितियां भी नहीं है। इसलिए दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की भूमिका अब न के बराबर है।

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