Pollution ALERT! गंभीर श्रेणी में पहुंचा दिल्ली में वायु प्रदूषण, एनसीआर की हालत और भी खराब
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के मुताबिक बुधवार को राजधानी दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 379 है। यह लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खराब है। लोगों को प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाने की जरूरत है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर दीवाली के बाद से बिगड़े हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि स्थितियों में सुधार आना तो दूर हालात बदतर होते जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के शहरों की वायु गुणवत्ता बुधवार को भी 'बहुत खराब' श्रेणी में है। वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के मुताबिक, बुधवार को राजधानी दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 379 है। यह स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खराब है। वहीं, सफर इंडिया का पूर्वानुमान है कि बुधवार को एनसीआर के शहरों का एयर इंडेक्स भी गंभीर श्रेणी में पहुंच जाएगा। यही नहीं, अभी अगले दो तीन दिन वायु प्रदूषण की यही श्रेणी बने रहने के आसार हैं।
इससे पहले कई दिनों की आंशिक राहत के बाद मंगलवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स बहुत खराब श्रेणी में वापस गंभीर श्रेणी में पहुंच गया। राजधानी दिल्ली के सभी कमोबेश 39 एयर क्वालिटी मानीटरिंग स्टेशनों पर भी गंभीर श्रेणी का ही एयर इंडेक्स दर्ज हुआ। हालांकि एनसीआर के शहरों का एयर इंडेक्स बहुत खराब श्रेणी में ही दर्ज हुआ।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक द्वारा जारी एयर इंडेक्स के मुताबिक मंगलवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स 403 रहा। सोमवार के 353 के मुकाबले यह 50 अंक अधिक था। फरीदाबाद का एयर इंडेक्स 370, गाजियाबाद का 356, ग्रेटर नोएडा का 361, गुरुग्राम का 369 और नोएडा का 397 दर्ज किया गया। सोमवार के मुकाबले एनसीआर के इन सभी शहरों के एयर इंडेक्स में भी कुछ अंकों का इजाफा देखने को मिला।
मंगलवार को आठ प्रतिशत पराली के धुएं की हिस्सेदारी
पंजाब और हरियाणा में पिछले 24 घंटों के दौरान पराली जलाने के 1,820 मामले रिकार्ड किए गए। दिल्ली के पीएम 2.5 में इस धुएं की हिस्सेदारी बुधवार के आठ प्रतिशत दर्ज की गई। मंगलवार को दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 222 जबकि पीएम 10 का स्तर 362 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा। सफर इंडिया के मुताबिक, प्रतीत होता है कि पराली जलाने संख्या में चरम पिछले सप्ताह तक पहुंच गया है और अब इसमें गिरावट का रुझान दिखना शुरू हो गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में मानसून की लेट वापसी के कारण लगभग एक सप्ताह की देरी है।