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AIIMS News: एम्स के विशेष पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए एक सीनियर रेजिडेंट डाक्टर को खटखटाना पड़ेगा हाईकोर्ट का दरवाजा, जानें पूरा मामला

AIIMS News- डा. राणा वर्तमान में डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग में एक वरिष्ठ रेजिडेंट के रूप में कार्यरत है। उन्हें एम्स में एम. सीएच मिनिमल एक्सेस सर्जरी और जनरल सर्जरी के लिए प्रायोजित प्रशिक्षु के रूप में चुना गया था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 01:01 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 01:01 PM (IST)
AIIMS News: एम्स के विशेष पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए एक सीनियर रेजिडेंट डाक्टर को खटखटाना पड़ेगा हाईकोर्ट का दरवाजा, जानें पूरा मामला
डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज में वरिष्ठ रेजिडेंट के रूप में कार्यरत हैं याचिकाकर्ता डा. महेंद्र सिंह राणा।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। हिमाचल प्रदेश के डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज वरिष्ठ रेजिडेंट डा. महेंद्र सिंह राणा को राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को शैक्षणिक सत्र-2022 के लिए अपने विशेष पाठ्यक्रम मिनिमल एक्सेस सर्जरी और जनरल सर्जरी में डा. राणा को भर्ती करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि डा. राणा को उक्त पाठ्यक्रम में शामिल करने की अनुमति देना न्यायोचित होगा क्योंकि सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम के लिए सीट को खाली रखने से किसी का हित नहीं होगा।

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पीठ ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता इस तरह के पाठ्यक्रम के लिए प्रशिक्षण लेता है, तो यह स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए मूल्यवान होगा। डा. राणा वर्तमान में डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग में एक वरिष्ठ रेजिडेंट के रूप में कार्यरत है। उन्हें एम्स में एम. सीएच मिनिमल एक्सेस सर्जरी और जनरल सर्जरी के लिए प्रायोजित प्रशिक्षु के रूप में चुना गया था। हालांकि, हिमाचल प्रदेश सरकार ने 27 फरवरी 2019 राज्य के बाहर चिकित्सा शिक्षा में विभिन्न स्नातकोत्तर और सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश को विनियमित करने के लिए एक नई नीति जारी की थी। उक्त नीति के तहत याचिकाकर्ता को प्रायोजन न देते हुए एम्स में स्नातकोत्तर करने के उनके अनुरोध को अप्रैल-2021 में अस्वीकार कर दिया गया था।

इस निर्णय को डा. राणा ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में निर्णय सुनाते हुए हाई कोर्ट ने 19 जुलाई 2021 को हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को परास्नातक-विशेष पाठ्यक्रम के लिए राज्य के बाहर प्रयोजन प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है। इसके बाद दो अगस्त 2021 को एम्स ने डा. राणा का चयन स्वीकार कर लिया। हालांकि, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के एकल पीठ के उक्त 19 जुलाई के निर्णय को एक अन्य उम्मीदवार ने चुनौती दे दी और 10 अगस्त 2021 को दो सदस्यीय पीठ ने एकल पीठ के निर्णय पर रोक लगा दी।

दो सदस्यीय पीठ के आदेश पर हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रयोजन प्रमाण पत्र वापस लेते हुए डा. राणा को दोबारा आरपीजीएमसी टंडा में दोबारा कार्यभार ग्रहण करने का अनुरोध किया। इस निर्णय के खिलाफ डा. राणा ने विशेष अनुमति याचिका दायर की और सुप्रीम कोर्ट ने चार अक्टूबर 2021 को याची को हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष जाने को कहा। हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने 24 नवंबर 2021 को निर्णय सुनाते हुए एकल पीठ के 19 जुलाई के निर्णय को रद कर दिया।

हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर डा. राणा ने हिमाचल प्रदेश सरकार के समक्ष यह कहते हुए मामले पर विचार करने का अनुरोध किया कि ऐसा नहीं होने पर उन्हें भारी नुकसान होगा। इस पर सचिव (स्वास्थ्य) हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अपवाद के रूप में याचिकाकर्ता को एम्स में पाठ्यक्रम फिर से शुरू करने की अनुमति देते हुए प्रायोजन प्रमाण पत्र/एनओसी को बहाल कर दिया गया।

साथ ही एम्स को सूचित किया गया, लेकिन डा. राणा ने जब 21 अप्रैल 2022 को एम्स में रिपोर्ट किया तो उन्हें पता चला कि उनका प्रवेश रद करके जुलाई 2022 से शुरू होने वाले सत्र के लिए नए प्रवेश के लिए उनकी सीट का विज्ञापन किया गया था। इसके बाद डा. राणा ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है और हाई कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए दाखिला देने के लिए एम्स को निर्देश दिया है।


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