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मोबाइल लत पर AIIMS का अलर्ट, देश में हर दूसरा युवा है पीड़ित, जानें- क्या हैं लक्ष्ण

अध्ययन में 13.4 फीसद लोगों ने माना है कि मोबाइल तकनीक की लत में वे इस कदर जकड़ चुके हैं कि उन्होंने रिश्तों या अवसर को खतरे में डाला या उसे खो दिया है। इनमें से ज्यादातर युवा हैं।

By Edited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 08:08 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 10:58 PM (IST)
मोबाइल लत पर AIIMS का अलर्ट, देश में हर दूसरा युवा है पीड़ित, जानें- क्या हैं लक्ष्ण
मोबाइल लत पर AIIMS का अलर्ट, देश में हर दूसरा युवा है पीड़ित, जानें- क्या हैं लक्ष्ण

नई दिल्ली, रणविजय सिंह। मोबाइल व इंटरनेट के अधिक इस्तेमाल के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हर दूसरा युवा मोबाइल की लत से पीड़ित हैं। इस अध्ययन में आम जिंदगी को लेकर कई हैरतअंगेज खुलासे हुए हैं, जिससे पता चलता है कि किस तरह से हमारी पारिवारिक व सामाजिक जिंदगी जटिल बनती जा रही है।

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इस अध्ययन में खास बात यह सामने आई है कि 13.4 फीसद लोगों ने माना है कि मोबाइल तकनीक की लत में वे इस कदर जकड़ चुके हैं कि उन्होंने रिश्तों या अवसर को खतरे में डाला या उसे खो दिया है। इनमें से ज्यादातर युवा हैं। हालांकि अध्ययन में साकारात्मक बात यह है कि लोगों में मोबाइल के कारण होने वाली व्यावहारिक लत के प्रति जागरूकता और समझ बढ़ रही है।

एम्स के मनोचिकित्सा व व्यावहारिक लत क्लीनिक के विशेषज्ञ डॉ. यतन पाल सिंह बलहारा ने कहा कि पिछले साल नवंबर में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में 817 लोगों पर यह अध्ययन किया गया। इसमें दो तिहाई लोग स्नातक या स्नातकोत्तर पढ़ाई कर चुके थे। इनकी औसत उम्र 32.35 साल थी। लोगों से सवाल पूछकर यह जानने की कोशिश की गई कि वे मोबाइल प्रयोग के अत्यधिक प्रयोग के प्रति कितने जागरूक हैं।

मोबाइल की लत का पता लगाने के लिए 9 से 11 मानदंड बने हुए हैं। नौ मानदंडों के अनुसार सवाल पूछे गए थे। अध्ययन में 56 फीसद लोगों ने माना कि उन्हें व्यावहारिक लत से संबंधित नौ में से कम से कम एक लक्षण हैं। इनमें से 35.41 फीसद लोगों ने कहा कि वे एक से दो लक्षणों से पीड़ित हैं। 14.23 फीसद लोगों ने कहा कि उनमें 3-6 तरह के लक्षण हैं।

अध्ययन में पता चला कि 5.52 फीसद लोगों ने कहा कि उनमें 7-9 लक्षण मिलते हैं। करीब 15 फीसद लोगों में पांच या उससे ज्यादा लक्षण पाए गए। वहीं 41 फीसद लोगों ने माना कि मोबाइल तकनीक से संबंधित व्यावहारिक लत होने पर वे मनोचिकित्सकों की मदद लेंगे। 15 फीसद लोगों ने जवाब दिया कि वे पहले मनोचिकित्सकों की मदद ले चुके हैं।

चाह कर भी नहीं छोड़ पाते लत
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि 19.4 फीसद लोग मोबाइल की लत छोड़ना चाहते थे पर वे छोड़ नहीं पाए। 19.7 फीसद ने माना कि जीवन की दूसरी चीजों में उनकी रुचि खत्म हो गई। विशेषज्ञों के अनुसार ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। भविष्य में इसके कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर हमारे पारिवारिक जीवन पर पड़ रहा है।

इन सवालों के आधार पर हुआ अध्ययन
1. मुझे मोबाइल की सनक है- 21.4 फीसद
2. इसका इस्तेमाल न करने पर खालीपन जैसा महसूस होता है- 24.8 फीसद
3. इसका आदि हो गया हूं इसलिए अधिक समय बर्बाद होता है- 19.6 फीसद
4. मैंने मोबाइल की लत को छोड़ना चाहा पर असफल रहा- 19.4 फीसद
5. जीवन की दूसरी चीजों में रुचि खत्म हो गई- 19.7 फीसद
6. यह जानते हुए कि ये जीवन को कितना प्रभावित करता है, इस्तेमाल जारी रखा- 19.7 फीसद
7. इससे संबंधित अपने व्यवहार के बारे में दूसरे से झूठ बोला- 18.6 फीसद
8. मैं चिंता व गलतियों से बचने के लिए इसका इस्तेमाल करता हूं। यह बचाव का तरीका है- 16.0 फीसद
9. मैंने इसके कारण रिश्तों या अवसर को खतरे में डाल दिया या खो दिया- 13.4 फीसद


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