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कोरोना के इलाज के बीच AIIMS ने दी खुशखबरी, 10 माह बाद शुरू हुआ कैंसर का इलाज

एनसीआइ में कैंसर का इलाज शुरू होने से कैंसर पीड़ितों को राहत मिलेगी। उन्हें इलाज के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। 710 बेड की क्षमता वाले एनसीआइ में कोरोना के इलाज के लिए 1500 बेड की व्यवस्था की गई थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 08:39 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 11:26 PM (IST)
कोरोना के इलाज के बीच AIIMS ने दी खुशखबरी, 10 माह बाद शुरू हुआ कैंसर का इलाज
ओपीडी में बढ़ रहे मरीज, किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी भी शुरू।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोराेना संक्रमण कम होने के बाद अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं सामान्य होने लगी हैं। इसी क्रम में कोविड अस्पताल में तब्दील एम्‍स के एनसीआइ (राष्‍ट्रीय) सेे कोरोना के ज्यादातर मरीजों को छुट्टी मिल चुकी है। कुछ मरीजों को झज्जर एनसीआइ से दिल्ली एम्स ट्रॉमा सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया है और एनसीआइ में करीब 10 माह बाद एक बार फिर कैंसर का इलाज शुरू कर दिया गया है। यह जानकारी एम्स के निदेशक डाॅ. रणदीप गुलेरिया ने दी। साथ ही एम्स की ओपीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ा दी गई है और रूटीन सर्जरी भी सामान्य रूप से होने लगी है।

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अगले माह में ट्रॉमा सेंटर में शुरू हो जाएगा हादसा पीड़िता का इलाज

एनसीआइ में कैंसर का इलाज शुरू होने से कैंसर पीड़ितों को राहत मिलेगी। उन्हें इलाज के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा। 710 बेड की क्षमता वाले एनसीआइ में कोरोना के इलाज के लिए 1500 बेड की व्यवस्था की गई थी। पिछले साल मार्च के अंतिम सप्ताह से ही इस अस्पताल में कैंसर का इलाज बंद कर दिया गया था। तब से एनसीआइ में कोरोना का ही इलाज होता रहा है। अब इस अस्पताल में कोरोना के करीब आठ हजार मरीजों का इलाज हुआ है। अब सिर्फ एक वार्ड कोरोना के लिए आरक्षित रखा गया है।

इसमें करीब 40 बेड है बाकी वार्ड संक्रमण मुक्त कर खाली कर दिए गए हैं। साथ ही कैंसर की सर्जरी व रेडियोथेरेपी शुरू कर दी गई है। फिलहाल, कैंसर के इलाज के लिए एनसीआइ में करीब 250 बेड इस्तेमाल किए जाएंगे। धीरे-धीरे सुविधाएं बढ़ाई जाएगी। 

एम्स के निदेशक डाॅ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि ओपीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ा दी गई है। इसलिए पिछले दिनों के मुकाबले अब ओपीडी में अधिक मरीज देखे जा रहे हैं। कोरोना के कारण पहले सभी विभागों की ओपीडी में सिर्फ 30 मरीज ही देखे जा रहे थे।

रूटीन सर्जरी बढ़ी

डा. गुलेरिया ने कहा कि रूटीन सर्जरी भी पहले की तरह शुरू कर दी गई है, क्योंकि कोरोना के मामले कम होने के बाद डाक्टर अपने रूटीन काम की तरफ लौट आए हैं। इसलिए रूटीन सर्जरी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि एम्स ट्रॉमा सेंटर में भी अगले माह से हादसा पीड़ितों का इलाज शुरू हो जाएगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। हालात स्थिर रहे तो ट्रॉमा सेंटर एक बार फिर हादसा पीड़ितों का इलाज शुरू हो जाएगा। हालांकि, कुछ बेड कोरोना के लिए आरक्षित रखे जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि 265 बेड की क्षमता वाले ट्रॉमा सेंटर को भी कोविड अस्पताल बनाया गया है। मौजूदा समय में ट्रॉमा सेंटर में कोरोना के करीब 85 मरीज भर्ती है। ट्रॉमा सेंटर में पहले प्रतिदिन 150 से 175 हादसा पीड़ितों का इलाज होता था। इन दिनों ओल्ड ओपीडी ब्लॉक में हादसा पीड़ितों की व्यवस्था है लेकिन उसमें बेड कम होने के कारण हादसा पीड़ितों को परेशान होना पड़ता है।

दो सप्ताह में चार मरीजों को हुआ किडनी प्रत्यारोपण

एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एसके अग्रवाल ने कहा कि कोरोना के दौर में अस्पताल में पहली बार पिछले दो सप्ताह में चार मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण किया गया है। यदि स्थिति सामान्य रही तो हर सप्ताह दो मरीजों की किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी होगी।

प्रतीक्षा सूची मेें हैैं 120 मरीज

क‍िडनी प्रत्‍यारोपण के लिए एम्स में 120 मरीज प्रतीक्षा सूची में हैं। इस वजह से वेटिंग लंबी है। यह प्रतीक्षा सूची एक साल में खत्म होगी। इन मरीजों के प्रत्यारोपण के बाद ही नए मरीजों की बारी आएगी। इसलिए नए मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण के लिए एक साल इंतजार करना पड़ेगा।

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