वेस्ट टू वंडर और भारत दर्शन पार्क के बाद अब इसी तर्ज पर दिल्ली में बनाए जाएंगे दो और पार्क, जानिए नाम और अन्य डिटेल
वेस्ट टू वंडर और भारत दर्शन पार्क को मिली सफलता के बाद निगम दो और पार्क इसी माडल पर बनाएगा। इसके लिए जंगपुरा में एक बालीवुड पार्क बनाया जाएगा। निजामुद्दीन स्थित वेस्ट टू वंडर पार्क और पंजाबी बाग के भारत दर्शन पार्क को लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। वेस्ट टू वंडर और भारत दर्शन पार्क को मिली सफलता के बाद निगम दो और पार्क इसी माडल पर बनाएगा। इसके लिए जंगपुरा में एक बालीवुड पार्क बनाया जाएगा, जबकि दूसरा आइटीओ के शहीदी पार्क में होगा। पहले उद्यान विभाग ने प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर इस पार्क को बनाने का प्रस्ताव स्थायी समिति के पास रखा था, जिसे समिति ने निरस्त कर दिया था, लेकिन अब भारत दर्शन पार्क को मिल रही लोकप्रियता को देखते हुए निगम ने फिर से दोनों प्रस्तावों पर काम शुरू कर दिया है।
हालांकि ये पार्क अब पीपीपी माडल पर नहीं बनाए जाएंगे। निगम वेस्ट टू वंडर और भारत दर्शन पार्क की तर्ज पर बनाएगा। दक्षिणी निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) बीके ओबेराय ने बताया कि निगम के निजामुद्दीन स्थित वेस्ट टू वंडर पार्क और पंजाबी बाग के भारत दर्शन पार्क को लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। बड़ी संख्या में दिल्ली ही नहीं, दूसरे राज्यों के पर्यटक इसे देखने पहुंच रहे हैं। इसको देखते हुए हमने बालीवुड और शहीदी पार्क बनाने का फैसला लिया है। जल्द इसे बनाने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि विभाग ने स्थायी समिति के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था, लेकिन पीपीपी माडल पर यह प्रस्ताव था। हम चाहते हैं कि निगम की आय का स्त्रोत बढ़े, इसलिए हम इसे पीपीपी माडल पर नहीं, बल्कि भारत दर्शन और वेस्ट टू वंडर पार्क माडल पर बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा अनुभव है कि इन पार्को में जो लागत आती है वह एक से दो साल में पूरी हो जाती है। इसलिए हम स्वयं के राजस्व को बढ़ाने के लिए स्वयं ही इन पार्को का निर्माण करेंगे।
ओबेराय ने बताया कि शहीदी पार्क दिल्ली के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया जाएगा, जहां पर शहीदों को याद करने वाली प्रतिकृतियां कबाड़ से बनाई जाएंगी। इसी तरह आजादी के बाद से भारतीय सिनेमा को रेखांकित करने वाला बालीवुड पार्क जंगपुरा में बनाया जाएगा। इसमें दशक दर दशक हुए सिनेमा के विकास को कबाड़ से बनी कलाकृतियों से दर्शाया जाएगा।