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सिख विरोधी दंगे में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के बाद अब कमलनाथ की बढ़ सकती है मुश्किलें

सिरसा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और वकील गुरबख्श सिंह ने बिना किसी देरी के कमलनाथ को गिरफ्तार करने का निर्देश देने की मांग की है। मामला यहां के गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब पर दंगाइयों की भीड़ से जुड़ा है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 09:13 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 09:13 PM (IST)
सिख विरोधी दंगे में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के बाद अब कमलनाथ की बढ़ सकती है मुश्किलें
दिल्ली हाई कोर्ट ने एसआइटी को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दंगे से जुड़े एक मामले में कमलनाथ की भूमिका के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा की याचिका पर न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में आगे की सुनवाई 28 मार्च को होगी।

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किस मामले के कारण कोर्ट पहुंचा मामला

सिरसा ने याचिका में कहा कि 1984 में यहां संसद मार्ग थाने में दर्ज प्राथमिकी में नाथ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एसआइटी को निर्देश देने की मांग की गई है। इस मामले में पांच लोगों आरोपित के रूप में नामित किया गया था। इन सभी को कांग्रेस नेता के मकान में ठहराया गया था। हालांकि, सुबूतों के अभाव में उन आरोपितों को बरी कर दिया गया। हालांकि, कमलनाथ का नाम एफआईआर में कभी नहीं था।

उठी गिरफ्तारी की मांग

सिरसा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और वकील गुरबख्श सिंह ने बिना किसी देरी के कमलनाथ को गिरफ्तार करने का निर्देश देने की मांग की है। मामला यहां के गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब पर दंगाइयों की भीड़ से जुड़ा है। नाथ ने पहले आरोपों से इनकार किया था। एसआइटी ने सितंबर 2019 में सात सिख विरोधी दंगा मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया था। इन मामलों में आरोपित या तो बरी हो गए थे या फिर मुकदमा बंद कर दिया गया था।

क्यों भड़की थी सिख विरोधी दंगा

सिरसा ने दावा किया कि कमलनाथ ने सात मामलों में से एक में आरोपित पांच लोगों को आश्रय दिया था। गृह मंत्रालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी पी माथुर समिति की सिफारिश के बाद 12 फरवरी 2015 को एसआइटी का गठन किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे।


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