दिल्ली में रहने वाले अफगान नागरिकों में तालिबान की दहशत, सता रही अपनों की चिंता
मोहम्मद की पत्नी नजीफा ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के नाम पर उनके सारे गहने उतरवा लिए गए। जांच के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने गहने वापस ही नहीं किए। जो पैसे लेकर वह आए थे वह सब इलाज पर खत्म हो गया।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे व वहां हो रहे खूनखराबे के कारण राजधानी के लाजपत नगर स्थित कस्तूरबा निकेतन (अफगानी कालोनी) में रहने वाले अफगानों में दहशत है। उन्हें सबसे ज्यादा चिंता अफगानिस्तान में रह रहे अपने परिजनों की हो रही है। इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रहे तालिबानी अत्याचार के वीडियो देखकर उन्हें अपने घर-परिवार की सुरक्षा का खतरा सता रहा है। हर कोई बस यही दुआ कर रहा है कि उनके लोग वहां सुरक्षित रहें। वे घरवालों से फोन पर संपर्क कर उन्हें दिलासा दे रहे हैं।
इन लोगों ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबानी पुरुषों का कत्ल कर रहे हैं और लड़कियाें व महिलाओं को जबरदस्ती अपने साथ ले जा रहे हैं। दुष्कर्म के बाद उनकी हत्या कर रहे हैं। सोमवार को काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के वीडियो ने इन लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। लोगों ने बताया कि भारत में वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसलिए जब अफगानिस्तान पर संकट आया तो उन्होंने भारत में ही शरण ली।
फंसे परिवार को निकालने की चिंता
काबुल निवासी मोहम्मद अफगान सरकार में अधिकारी हैं। वह अपनी पत्नी व तीन बेटों के साथ इलाज कराने 10 दिन पहले दिल्ली आए थे। इस बीच अफगानिस्तान के हालात लगातार खराब होते गए। मोहम्मद के परिवार के बाकी सदस्य अभी काबुल में ही फंसे हैं। सबसे ज्यादा चिंता उनकी सुरक्षा की हो रही है।
मोहम्मद की पत्नी नजीफा ने बताया कि काबुल एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के नाम पर उनके सारे गहने उतरवा लिए गए। जांच के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने गहने वापस ही नहीं किए। जो पैसे लेकर वह आए थे, वह सब इलाज पर खत्म हो गया। अब परिवार के पास मकान का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं हैं। काबुल से आए इमरान ने बताया कि उनके पिता अमेरिकी सेना के साथ ट्रांसलेटर का काम करते थे। उन्होंने कहा कि तालिबानी अपने विरोधियों को न कभी भूलते हैं और न ही माफ करते हैं। इसलिए अब वह अपने वतन गए तो वे उन्हें मार देंगे।
तालिबानियों के वादों पर नहीं है भरोसा
लाजपत नगर में दो साल से रह रहे काबुल निवासी बासित ने बताया कि उनका पूरा परिवार अभी काबुल में फंसा है। एक भाई इंजीनियर हैं और एक की दुकान है। उन्होंने कहा कि यूनाइटेड नेशंस हाइ कमिश्नर फार रिफ्यूजीस (यूएनएचसीआर) को हम लोगों की मदद करनी चाहिए। फ्लाइट बंद है इसलिए वहां से परिवार को ला भी नहीं सकते हैं।
वहीं, छह साल से लाजपत नगर में रह रहे सैयद मिलादमीर ने बताया उन्होंने नोएडा से बीसीए की पढ़ाई की है। वह अफगानिस्तान से सूखे मेवे लाकर यहां बेचते थे। फिर भारत से वाटर प्यूरीफायर ले जाकर अफगानिस्तान में बेचते थे। लेकिन तालिबानी हमलों के कारण पिछले कई माह से काम बंद है। वह अभी तीन दिन पहले ही काबुल से दिल्ली आए थे। काबुल में उनकी पत्नी, दो बच्चे, मां व बहन रह गए हैं। उनकी सुरक्षा की चिंता है। तालिबानियों की मन में क्या है, यह कोई नहीं जानता। अत्याचार और वादाखिलाफी के उनके पिछले रिकार्ड को देखते हुए उन पर कोई भरोसा नहीं कर सकता।
तालिबानियों ने 10 साल पहले किया था हमला
हेरात निवासी यार मोहम्मद की पत्नी अफगानिस्तान में पत्रकार थीं। तालिबानी नहीं चाहते थे कि कोई महिला नौकरी करे इसलिए 10 साल पहले तालिबानियों उनकी पत्नी पर हमला कर दिया। किसी तरह उनकी जान बच सकी। इसके बाद वह पत्नी व तीन बच्चों के साथ दिल्ली आ गए और तब से बतौर शरणार्थी रह रहे हैं। दंपति यहां पर अफगानियों के लिए ट्रांसलेटर का काम करके अपनी रोजी-रोटी चला रहा था लेकिन इस संघर्ष के कारण काफी समय से यह काम भी बंद है।
हेरात में रह रहे परिवार के अन्य सदस्यों की चिंता सता रही है। वहीं, हेरात से 12वीं पास करने के बाद एक साल पहले दिल्ली आए अहमद ने बताया कि पाकिस्तान से लेकर चीन तक ने अफगानिस्तान को धोखा दिया है। हमारे देश का भविष्य अब अल्लाह के हाथों में है।
घरों व हास्टलों से लड़कियों को खींचकर कर रहे दुष्कर्म
लाजपत नगर निवासी एक लड़की ने बताया कि वह मजार-ए-शरीफ के एक आवासीय स्कूल में पढ़ती थी।तालिबान के डर से सारे शिक्षक अपने-अपने देश चले गए। आसपास के अभिभावक अपनी लड़कियों को घर ले गए लेकिन बहुत सी लड़कियां हास्टल में हीं फंस गईं। एक दिन सैकड़ों तालिबानी लड़ाके छात्रावास शादी करने की बात कहकर सभी लड़कियों को उठा ले गए। उनसे दुष्कर्म किया गया और कुछ की दुष्कर्म के बाद हत्या भी कर दी गई।
लड़की ने बताया कि शुक्र है कि वह इस सबसे पहले हास्टल से बचकर भारत आ गईं। वहीं, गजनी निवासी मिलाद घुटने का आपरेशन कराने पहली अगस्त को पिता मोहम्मद शाह के साथ दिल्ली आए थे। फ्लाइट बंद हो जाने के कारण वापस नहीं जा पा रहे हैं।