जानें, किस तकनीक से 21 घंटे में बनकर तैयार होगा 50 गज का मकान
स्टील का ढांचा साइज के अनुरूप पहले ही तैयार कर लिया जाता है। इसमें जिप्सम से बने ब्लॉक और पैनल फिट कर दिए जाते हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। अपने सपनों का घर बनाने के लिए अब आपको सालों का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आपका यह सपना महज 21 घंटे में साकार होगा, वह भी बहुत ही रियायती दर पर। घर की मजबूती को लेकर भी कोई संदेह रखने की जरूरत नहीं है।
शहरी विकास मंत्रालय के अधीन एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन) ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना '2022 तक सबके लिए घर' को सफल बनाने के लिए पिछले दिनों ही हंगरी की कंपनी ग्रेमाउंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के साथ करार किया है। इस करार के तहत नॉन टेक्नोटिक तकनीक से अफोर्डेबल मकान बनाए जाएंगे।
इस तकनीक से मकान बनाने का स्टैंडर्ड साइज 43 वर्ग मीटर (लगभग 50 गज) रखा गया है। इसमे 10 बाई 10 साइज का कमरा होगा, साथ में एक रसोईघर और टॉयलेट- बाथरूम रहेगा। मकान की नींव डालने और बाद में उस पर रंग रोगन या साज सज्जा का समय इसमें शामिल नहीं है। मतलब यह कि 21 घंटो में मकान का पूरा ढांचा खड़ा हो जाएगा।
क्या है नॉन टेक्नोटिक तकनीक
इस तकनीक के तहत मकान की नींव तो परंपरागत तरीके से ही डाली जाती है और जमीन के दो फीट ऊपर तक होती है। लेकिन उसके बाद का सारा ढांचा पहले से तैयार सामग्री से खड़ा किया जाता है। स्टील का ढांचा साइज के अनुरूप पहले ही तैयार कर लिया जाता है। इसमें जिप्सम से बने ब्लॉक और पैनल फिट कर दिए जाते हैं और उनके बीच में मसाला भर दिया जाता है। इस मसाले में रेत की मात्रा ज्यादा रहती है। इस तकनीक से तीन मंजिल तक मकान बनाए जाते हैं। अभी तक हंगरी व सउदी अरब में ही ऐसे मकान बनाए गए हैं।
खर्च के लिहाज से भी महंगे नहीं
नॉन टेक्नोटिक तकनीक से बने यह घर महंगे भी नहीं हैं। प्रति वर्ग फीट 800 से 900 रुपये का खर्च आता है। मतलब, 50 गज के मकान का ढांचा लगभग 3.50 लाख रुपये में खड़ा हो जाएगा। नींव डालने और फिनिशिंग का खर्च भी जोड़ लिया जाए तो तकरीबन पांच लाख रुपये में बढ़िया घर तैयार हो जाएगा।
एनबीसीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अनूप कुमार मित्तल का कहना है कि ग्रेमाउंड इंजीनियरिंग लि. कंपनी के साथ यह करार हंगरी सरकार में विदेशी मामलो एवं व्यापार मंत्री पीटर सीजार्तो की उपस्थिति में किया गया है। हमने कंपनी से दिल्ली में एक मॉडल मकान बनाने को कहा है। उसके आधार पर ही सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों के साथ घर बनाने शुरू किए जाएंगे। पांच साल में देश के हर नागरिक को घर देने में यह तकनीक वाकई कारगर साबित होगी।
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