जरूरतमंदों को निश्शुल्क न्याय उपलब्ध कराने के लिए आगे आएं अधिवक्ता - न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना
न्याय पाना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है लेकिन आर्थिक हालात के कारण कई वर्ग न्यायिक लड़ाई नहीं लड़ पाते और वंचित रह जाते हैं। अधिवक्ताओं का कर्तव्य है कि वे गरीब और जरूरतमंद लोगों की कानूनी सहायता करें और उन्हें उनका कानूनी हक दिलाने में मदद करें।
नई दिल्ली रीतिका मिश्र। न्याय पाना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, लेकिन आर्थिक हालात के कारण कई वर्ग न्यायिक लड़ाई नहीं लड़ पाते और न्याय से वंचित रह जात हैं। ऐसे में अधिवक्ताओं का कर्तव्य है कि वे गरीब और जरूरतमंद लोगों की कानूनी सहायता करें और उन्हें उनका कानूनी हक दिलाने में मदद करें।
न्यायिक अधिकार उपलब्धता सुनिश्चित किए बगैर निम्न व गरीब वर्ग के अधिकार को सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) के 25 साल पूरे होने पर राउज एवेंयू कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति वीएन रमन्ना ने ये बातें कही।
उन्होंने अधिवक्ताओं को गरीबों को न्यायिक हक दिलाने में भूमिका अदा करने पर जोर दिया। न्यायमूर्ति रमन्ना ने इस दौरान डिजिटल माध्यम से विभिन्न न्यायालय में डीएसएलएसए के फ्रंट ऑफिस और द्वारका जिला अदालत में चीफ डिफेंस काउंसल के कार्यालय का उद्घाटन किया।
इस दौरान उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति के तौर पर अपने कार्यकाल का एक किस्सा भी सुनाया। उन्होंने कहा कि एक दिन कोर्ट परिसर में एक महिला ने उनसे पूछा था कि आप आखिर कब अधिवक्ताओं की फीस निर्धारित करेंगे। इसके जवाब में मैंने कहा था कि अदालत इसे नियंत्रित नहीं कर सकती है। इस पर उस महिला ने मुझसे पूछा कि आखिर हम जैसे लोग फिर अदालत कैसे आ सकेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक अधिवक्ता को हर साल कुछ मुकदमे निशुल्क करने चाहिए ताकि समाज के प्रत्येक वर्ग को न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि हमें समाज से काफी कुछ मिलता है और बतौर अधिवक्ता हमारी जिम्मेदारी है कि हम जरूरतमंदों की मदद कर समाज को कुछ वापस देने में अपनी महती भूमिका निभाएं।
इस दौरान उन्होंने कहा कि देश भर में डीएसएलएसए के सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट व निचली अदालतों में लगभग 48,227 पैनल वकील हैं जो गरीब और निम्न वर्ग के नागरिकों को कानूनी सहायता प्रदान करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वहीं, कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली के बारे में रमन्ना ने कहा कि इस योजना को दो साल के लिए पायलट आधार पर देश भर के 17 जिलों में लागू किया जाना है।
उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के जरिए वर्ष 2020 में लगभग 1600 मामलों का निपटारा किया गया है। फ्रंट आफिस के महत्व के बारे में उन्होेंने कहा कि फिलहाल देशभर में 1170 फ्रंट आफिस कार्य कर रहे हैं और 2020 के दौरान इन कार्यालयों के जरिए 1,46,000 से अधिक व्यक्तियों को कानूनी सहायता दी गई।
इसके अलावा उन्होंने लीगल एड एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई गई और स्कूली छात्रों को लिए सभी कानूनी जानकारियों से जुड़ी एक ई-कामिक को भी लांच किया। कार्यक्रम में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल, न्यायमूर्ति विपिन सांघी समेत दिल्ली की सभी जिला अदालतों के जिला एवं सत्र न्यायाधीश मौजूद रहे।