दिल्ली के अस्पतालों में आतिशबाजी से झुलसे लोगों के इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम
सफदरजंग अस्पताल के बर्न सेंटर व आरएमएल अस्पताल के बर्न वार्ड में बेड आरक्षित रखे गए हैं। इसके अलावा वर्न इमरजेंसी में अतिरिक्त डाॅक्टर तैनात किए गए हैं। ताकि जरूरतमंद लोगों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जा सके।
नई दिल्ली, रणविजय सिंह। राजधानी में प्रदूषण के मद्देनजर भले ही पटाखों पर प्रतिबंध है लेकिन अस्पतालों में दीपावली के दिन आतिशबाजी में झुलसने वाले लोगों के इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। खास तौर पर सफदरजंग अस्पताल के बर्न सेंटर व आरएमएल अस्पताल के बर्न वार्ड में बेड आरक्षित रखे गए हैं। इसके अलावा वर्न इमरजेंसी में अतिरिक्त डाॅक्टर तैनात किए गए हैं। ताकि जरूरतमंद लोगों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जा सके।
सफदरजंग अस्पताल के बर्न सेंटर के प्रमुख डाॅ. शलभ कुमार ने कहा कि यह देखा गया है कि दीपावली के दिन बर्न के मरीज बढ़ जाते हैं। पटाखों व दीये से झुलसकर काफी लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसलिए पटाखों पर प्रतिबंध हो या ना हो, अस्पताल को अलर्ट पर रखा गया है। वर्न सेंटर में 25 बेड आरक्षित रखे गए हैं। आइसीयू में भी बेड आरक्षित रखा गया है।
कोरोना के इस दौर में बर्न के मरीजों की इलाज भी चुनौतीपूर्ण हो गई है। क्योंकि पटाखों से झुलसकर पहुंचने वाले कुछ लोग कोरोना पाॅजिटिव भी हो सकते हैं। इसलिए वार्ड में बचाव के पूरे इंतजाम किए गए हैं। पीड़ित को भर्ती करने के बाद कोरोना की जांच भी कराई जाएगी। रिपोर्ट पाॅजिटिव आने पर कोविड वार्ड में भर्ती किया जाएगा।
आरएमएल अस्पताल के बर्न विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. मनोज झा ने कहा कि पटाखों से जलने वालों के इलाज के लिए बर्न वार्ड में एक जगह तमाम व्यवस्था की गई है। वहां बर्न के अलावा आंखों के डॉक्टर भी मौजूद रहेंगे। क्योंकि आतिशबाजी के दौरान कई लोगों की आंखें भी प्रभावित हो जाती हैं। पीड़ित को इलाज के इधर उधर भटकना न पड़े इसके लिए अस्पताल में दिशा सूचक बोर्ड लगाए गए हैं। ताकि पीड़ित सीधे बर्न वार्ड में पहुंच सके। फिलहाल 11 बेड आरक्षित रखे गए हैं। दीपावली की रात बेड की संख्या बढ़ा दी जाएगी। इसके अलावा सभी वरिष्ठ व जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल आतिशबाजी में झुलसकर दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में 200 से ज्यादा लोग इलाज के लिए पहुंचे थे। सफदरजंग अस्पताल में पिछले साल कुल 73 लोग इलाज के लिए पहुंचे थे। इसमें से 55 लोग पटाखों से व 18 लोग दीये से आग लगने के कारण झुलसे थे। इलाज के लिए पहुंचने वालों में 26 बच्चे व 47 वयस्क लोग थे। 95 फीसद तक झुलसे एक पीड़ित व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। वहीं आरएमएल अस्पताल में पिछले साल 22 लोग इलाज के लिए पहुंचे थे।
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