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'दुर्गा' के रोल में नजर आ सकती हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण या तापसी पन्नू

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में खनन माफिया को धूल चटाने वाली आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल पर फिल्म बनने जा रही है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 11:03 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 11:45 AM (IST)
'दुर्गा' के रोल में नजर आ सकती हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण या तापसी पन्नू
'दुर्गा' के रोल में नजर आ सकती हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण या तापसी पन्नू

नई दिल्ली [मनु त्यागी]। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में खनन माफिया को धूल चटाने वाली आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल पर फिल्म बनने की खबर पिछले दिनों आई, तो किसी को हैरानी नहीं हुआ, सिवाय खुद दुर्गा के। बताया जा रहा है कि अभिनेत्री दीपिका पादुकोण या तापसी पन्नू यह किरदार निभा सकती हैं। फिल्म को लेकर उत्साहित दुर्गा शक्ति ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि इस फिल्म के माध्यम से यदि आम व्यक्ति को भ्रष्टाचार से लड़ने की हिम्मत मिले तो उन्हें बेहद खुशी होगी।

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फिल्म को लेकर बेहद खुश हैं दुर्गा

भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने संघर्ष और अनुभव के बारे में दुर्गा ने विस्तार से चर्चा की। कहा, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में आने के बाद बतौर एसडीएम (सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट) गौतमबुद्ध नगर में पदस्थापना मेरे करियर का अहम पड़ाव था। मैं देशसेवा के भरपूर जज्बे, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ सिर्फ और सिर्फ अपने दायित्व का श्रेष्ठतम निर्वाह करने को दृढ़संकल्पित थी। आज यह सोच कर सुखद आश्चर्य से भर उठती हूं कि मेरे जीवन के उस हिस्से पर फिल्म बनने जा रही है...।

लोग उठाएं भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज

दिल्ली टेक्नीकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन से स्नातक (बीटेक इन कंप्यूटर साइंस) 2010 बैच की आइएएस अधिकारी दुर्गा ने कहा, मेरे जीवन का वह हिस्सा देश-समाज के लिए इस तरह प्रेरणादायी समझा जाएगा, तब यह सोचा भी नहीं था। आज खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि फिल्म निर्माता ने प्रेरक विषय के रूप में इसे चुना और अब फिल्म के माध्यम से पर्दे पर लोग उस हकीकत को देखेंगे। दुर्गा ने कहा, इसे देखकर लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत पैदा हो सके तो मेरे लिए सर्वाधिक खुशी की बात होगी..।

दुर्गा को उम्मीद, बनेगी अच्छी फिल्म

दुर्गा ने बताया कि प्रोडक्शन हाउस इस रोल के लिए अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और तापसी पन्नू से संपर्क में है। संभव है कि दीपिका या तापसी में से ही कोई यह किरदार निभाए। वैसे भी मैं बहुत सरल और सहज महिला हूं, मेरा किरदार करना कठिन नहीं है। लेकिन उस वक्त मैंने खनन के अवैध कारोबार के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी, उसे फिल्म के रूप में उसी तरह प्रभावी तरीके से दिखाना निर्देशक के लिए एक चुनौती हो सकती है। सनीर खेत्रपाल (निर्माता, अजूर एंटरटेनमेंट) से मेरी अब तक की बातचीत में मुङो यह लगा कि वे इस विषय को लेकर काफी उत्साहित हैं। उम्मीद है कि वह बेहतर फिल्म बनाएंगे।

अगले साल पहली छमाही में रिलीज होगी फिल्म

34 वर्षीय दुर्गा कहती हैं, छह माह बाद फिल्म आ जाएगी, तब देखते हैं कि यह फिल्म किस रूप में और कितना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहती है। जिस तरह से मैं अपने माता-पिता और अपने पति अभिषेक सिंह, जो खुद भी आइएएस अधिकारी हैं, से प्रेरित हूं, उसी तरह लोग इस फिल्म को देखकर प्रेरित हो सकें तो यह मेरे लिए इसका सबसे बड़ा हासिल होगा..। वर्ष 2013 में खनन माफिया से लड़ने वाली दुर्गा को निलंबन ङोलना पड़ा था। उसी दौरान पति अभिषेक सिंह को भी प्रताड़ना ङोलनी पड़ी और उनका भी ट्रांसफर कर दिया गया था। इसकी वजह से वह काफी परेशान भी रहे थे।

फिल्म के नाम के सवाल पर दुर्गा कहती हैं, मैंने अपनी तरफ से निर्देशक को कुछ नहीं कहा है। नाम तय होने पर वह मुझसे जरूर चर्चा करेंगे। हां इतना जरूर है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रेरित करने वाला ही कोई प्रभावी नाम रखा जाएगा। दुर्गा के पति अभिषेक सिंह वर्तमान में दिल्ली में उपायुक्त पद पर तैनात हैं। एक बेटी है, जिसका नाम दानिया है।

संकल्प जरूरी है

जब आप जीवन में कुछ करना चाहते हैं तो कर्तव्यनिष्ठा, समर्पण और ईमानदारी जैसे उच्चतम मूल्य ही प्रेरणा और शक्ति देने का काम करते हैं। इनके बिना जीवन में कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है। कैसी भी परिस्थितियां आएं, यह आपको विचलित नहीं होने देते। आपका संकल्प, आपकी धारणा इतनी बुलंद होनी चाहिए कि आपके कदम डगमगाने न पाएं। मेरे कदम भी इसीलिए कभी नहीं डगमगाए..। 

खनन माफिया के खिलाफ संघर्ष आज भी याद : दुर्गा

फिलहाल नई दिल्ली में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रलय में बतौर डेप्युटी सेक्रेटरी तैनात दुर्गा ने 2013 की याद करते हुए कहा, मुझे याद है कि तब मैंने कैसे खनन माफिया के खिलाफ संघर्ष किया। रात को सुनसान इलाकों में जाकर छापे मारना, बेखौफ खनन माफिया से भिड़ना, इसमें लिप्त लोगों का विरोध ङोलना, किसानों की समस्याओं को सुनना और भी बहुत सारी बातें, आज भी वह सारी घटनाएं मेरे समक्ष मानो दृश्यों के रूप में हैं। पर्दे पर भी सब वैसा ही दिखेगा, वही सब जीवंत होगा। हालांकि जब कोई सच्ची घटना पर्दे पर दिखाई जाती है तो उसमें मनोरंजन का पुट भी दिया जाता है, जो जरूरी भी है।

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