आरुषि मर्डर केस: कोर्ट का फैसला सुनते ही जेल में कैद तलवार दंपती की आंखें छलक उठीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद बेटी को खोने का गम और इंसाफ मिलने के भाव चेहरे पर आए तो आंखें छलक उठीं।
गाजियाबाद (जेएनएन)। देश के चर्चित आरुषि हत्याकांड में हाई कोर्ट से बरी होने की सूचना पर डासना जेल में बंद डॉ. राजेश तलवार व उनकी पत्नी डॉ. नूपुर तलवार भावुक हो गए। बेटी को खोने का गम और इंसाफ मिलने के भाव चेहरे पर आए तो आंखें छलक उठीं। फैसले को लेकर वह कई दिनों से बेचैन थे।
फैसले से पहले और उसके बाद वे पूजा में बैठे रहे। सूत्रों के अनुसार डॉ. राजेश तलवार ने फैसले के बाद कहा कि कानून पर हमें हमेशा से भरोसा था। आज हमें इंसाफ मिल गया। जेल प्रशासन का कहना है कि बरी होने की प्रमाणित प्रति आते ही उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
फैसले को लेकर तलवार दंपती बुधवार रात से ही काफी बेचैन थे। दोनों अपनी-अपनी बैरकों में पूरी रात नहीं सोए। दोनों करवटें बदलते रहे और बार-बार खड़े होकर बैरक में टहलते रहे। उन्होंने बुधवार शाम करीब छह बजे जेल में रोटी, मसूर की दाल, शलजम की सब्जी व चावल खाया।
सुबह उठने के बाद दोनों ने दैनिक दिनचर्या के बाद व्यायाम व योग किया और पूजा पर बैठ गए। सुबह करीब आठ बजे दोनों ने चाय, दलिया व पाव का नाश्ता किया। इसके बाद दोनों नियमित तरीके से अपने कामों में लग गए।
डॉ. राजेश तलवार गुरुवार को जेल में बनी क्लीनिक पर नहीं गए, लेकिन करीब ढाई बजे अचानक एक मरीज के दांतों में परेशानी हुई तो वह उसका इलाज करने के लिए क्लीनिक पर आ गए। नूपुर ने रोजाना की तरह जेल में बंद बच्चों को पढ़ाया।
इसके बाद राजेश बैरक के बाहर बने पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की मूर्ति के पास बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे, जबकि नूपुर अपनी बैरक में गुरुवाणी का पाठ करती रहीं। दोनों ने बैरकों में लगे टीवी पर बरी होने की खबर देखी तो वे भावुक हो गए।
फैसला आते ही बेटी को याद कर आंखों से दिल का दर्द फूट पड़ा और दोनों की आंखें छलक उठीं। बृहस्पतिवार को उनसे जेल में मिलने के लिए कोई भी परिजन नहीं आया। उनके एक परिजन दिनेश तलवार तीन दिन पहले मुलाकात करके गए थे।