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माता-पिता निर्दोष तो आरुषि को किसने मारा? सोशल मीडिया पर भी उठा सवाल

घर में चार सदस्य थे। दो मारे गए और दो बच गए, घर में कोई आया-गया नहीं तो आखिर हत्या किसने की?

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 12 Oct 2017 05:28 PM (IST)Updated: Fri, 13 Oct 2017 07:19 AM (IST)
माता-पिता निर्दोष तो आरुषि को किसने मारा? सोशल मीडिया पर भी उठा सवाल
माता-पिता निर्दोष तो आरुषि को किसने मारा? सोशल मीडिया पर भी उठा सवाल

नोएडा (जेएनएन)। देश ही नहीं दुनिया की चुनिंदा मर्डर मिस्ट्री में शामिल हो चुके आरुषि हत्याकांड में बृहस्पतिवार को फैसला आ गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज अपने फैसले में बेटी आरुषि और हेमराज की हत्या के आरोप मेें जेल में बंद डॉ राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया। गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ कोर्ट ने इस मामले में तलवार दंपत्ती को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 

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कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआइ कटघरे में हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अरुषि और हेमराज की हत्या किसने की है। यह भी प्रश्न सामने आ रहा है कि सीबीआइ से इस मामले में कहां चूक हई। सीबीआइ ने इस मामले में जो सबूत पेश किए, उसे कोर्ट ने क्यों नकार दिया? 
 

वहीं, हाईकोर्ट के फैसले के बाद लोगों के जेहन में भी सवाल उठ रहा है कि जब राजेश तलवार और नूपुर तलवार बरी हो गए तो आखिर आरुषि की हत्या किसने की। यह सवाल अब सोशल मीडिया में भी उठ रहा है। 

लोग सवाल पूछ रहे हैं कि घर में चार सदस्य थे। दो मारे गए और दो बच गए, घर में कोई आया-गया नहीं तो आखिर हत्या किसने की?

यहां पर बता दें कि 15-16 मई, 2008 की आधी रात को नोएडा की पॉश कालोनी जलवायु विहार के L-32 में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली आरुषि की लाश कमरे में मिली थी। शुरुआत में इसकी जांच यूपी पुलिस कर रही थी, लेकिन मामले की गंभीरता और यूपी पुलिस पर उठते सवालों के बीच यह मामला सीबीआइ को सौंप दिया गया था।

जानकारी के मुताबिक, 31 मई, 2008 को आरुषि-हेमराज मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दिया गया था।जांच में परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर सीबीआई ने राजेश तलवार को ही एकमात्र संदिग्ध बताया। हालांकि सबूतों के अभाव में तलवार पर कोई आरोप लगाने से इनकार कर दिया। सीबीआई कोर्ट ने मौजूद सबूतों के आधार पर तलवार दंपती के खिलाफ ही केस चलाने का आदेश दिया था।

चार साल की कानूनी प्रक्रिया के बाद गाजियाबाद की सीबीआइ की विशेष अदालत ने 26 नवंबर 2013 को तलवार दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 

इस हत्याकांड और कोर्ट की कार्यवाही का साल दर साल ब्योरा जानिए..

2008

16- मई : 14 वर्ष की आरुषि तलवार नोएडा में अपने घर के बेडरूम में मरी मिली। उसका गला कटा था। नौकर हेमराज पर शक आया।

17-मई : हेमराज का शव तलवार के घर के टेरेस पर मिला।

23-मई : आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार को यूपी पुलिस ने आरुषि और हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

1-जून : सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली।

13-जून : डॉ राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। तलवार के दोस्त दुर्रानी के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी बाद में गिरफ्तार किया। तीनों दोहरे हत्याकांड के आरोपी बने।

12-जुलाई : राजेश तलवार गाजियाबाद की डासना जेल से जमानत पर रिहा।

12-सितंबर : कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को लोअर कोर्ट से जमानत मिली। सीबीआई 90 दिन तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी।

2009

10-सितंबर : आरुषि हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआई की दूसरी टीम बनी।

2010

29-दिसंबर : सीबीआई ने आरुषि हत्याकांड में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी।

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2011

25- जनवरी : राजेश तलवार ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ लोअर कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की।

9- फरवरी : लोअर कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज की, आरुषि के मां-बाप, राजेश और नुपुर तलवार को हत्या और सुबूत मिटाने का दोषी माना।

21- फरवरी : डॉ राजेश और नुपुर तलवार ट्राइल कोर्ट के समन को रद्द करवाने हाइकोर्ट गए।

18 मार्च : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समन रद्द करने की तलवार की गुजारिश खारिज की और उन पर कार्यवाही शुरू करने को कहा।

19- मार्च : तलवार सुप्रीम कोर्ट गए, जिसने उनके खिलाफ ट्राइल को स्टे कर दिया।

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2012

6- जनवरी : सुप्रीम कोर्ट ने तलवार की अर्जी खारिज की और ट्राइल शुरू करने की इजाजत दी।

11- जून : गाजियाबाद में विशेष सीबीआई जज एस लाल के सामने ट्राइल शुरू हुआ।

2013

10- अक्टूबर : फाइनल आर्गयुमेंट शुरू हुए।

25 -नवंबर : तलवार दंपति को गाजिय़ाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाया और उम्र कैद की सजा सुनाई।

2014

जनवरी : तलवार दंपत्ति ने लोअर कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।

2017

11- जनवरी : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार की अपील पर फैसला सुरक्षित किया।

01-अगस्त: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार की अपील दोबारा सुनेंगे क्योंकि सीबीआई के दावों में विरोधाभास हैं।

08-सितंबर : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि हत्याकांड में फैसला सुरक्षित किया।


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