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AAP vs LG Tussle: उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार में अब तक हुए प्रमुख टकराव, अधिकारों पर छिड़ सकती है रार

AAP vs LG Tussle 14 फरवरी 2019 दो सदस्यीय संविधान पीठ ने शक्तियों के विभाजन का निर्णय दिया लेकिन इस निर्णय को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया गया जहां अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 02:54 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 03:18 PM (IST)
AAP vs LG Tussle: उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार में अब तक हुए प्रमुख टकराव, अधिकारों पर छिड़ सकती है रार
दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार की ओर कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। GNCTD ACT 1991 Amendment Bill केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में राष्‍ट्रीय राजधानी राज्‍यक्षेत्र शासन संसोधन बिल 1991 पेश (GNCTD ACT 1991 Amendment Bill) किया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का पूर्व बहुमत होने के चलते इसके पास होने की 100 फीसद चांस हैं।

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विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बिल के जरिये केंद्र सरकार दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल की शक्ति को बढ़ाने के साथ अधिकार को भी अधिक स्पष्ट करने जा रही है। जाहिर है कि इस बिल के पास होने पर दिल्‍ली सरकार को किसी भी तरह के फैसले स्‍वतंत्र रूप से लेने का अधिकार नहीं होगा, इसके लिए उपराज्‍यपाल की मंजूरी जरूरी होगी। वहीं, इसको लेकर दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार की ओर कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है।

इन तारीखों पर हो चुके है टकराव-

1 अप्रैल 2015: तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने नौकरशाहों से मुख्यमंत्री का वह आदेश नहीं मानने को कहा, जिसमें पुलिस, पब्लिक आर्डर और जमीन से जुड़े सभी मामलों की फाइलें उनके माध्यम से एलजी को भेजने के लिए निर्देश दिया गया था। इस पर 29 अप्रैल 2015 को केजरीवाल ने अधिकारियों से कहा कि सभी फाइलें उपराज्यपाल के पास भेजने की जरूरत नहीं है।

15 मई 2015: केजरीवाल ने शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाए जाने का विरोध किया।

20 मई 2015: जंग ने दिल्ली सरकार द्वारा की गई सभी नियुक्तियों को रद कर दिया और कहा कि सभी नियुक्तियों का अधिकार केवल उन्हें है।

21 मई 2015: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया कि दिल्ली में सभी तरह के स्थानांतरण और नियुक्तियां करने का अधिकार केवल उपराज्यपाल को है। साथ ही एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) को केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने के अधिकार से बाहर कर दिया।

28 मई 2015: आप सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना को हाइ कोर्ट में चुनौती दी।

28 मई 2015: केंद्र सरकार अपनी अधिसूचना को लेकर हाई कोर्ट की टिप्पणियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई।

10 जून 2015: हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना को रद कर दिया।

4 अगस्त 2016: हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल का दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया बताया।

31 अगस्त 2016: हाई कोर्ट के आदेश को आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

15 फरवरी 2017: सुप्रीम कोर्ट ने राजनिवास और दिल्ली सरकार के बीच चल रही रस्साकशी को संवैधानिक पीठ को भेज दिया।

20 फरवरी 2018: मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आप विधायकों और मुख्यमंत्री पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया।

4 जुलाई 2018: सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्सीय पीठ ने उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य करार दिया।

14 फरवरी 2019: दो सदस्यीय संविधान पीठ ने शक्तियों के विभाजन का निर्णय दिया, लेकिन इस निर्णय को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया गया, जहां अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।


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