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राशन की दुकानों से संबंधित मामलों में LG से अधिकार लेना चाहती है 'आप' सरकार

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री, मुख्यमंत्री से होती हुई प्रस्ताव की फाइल स्वीकृति के लिए उपराज्यपाल सचिवालय तक जाएगी। उपराज्यपाल की अनुमति के बाद इस मामले में कार्रवाई हो सकेगी।

By Amit MishraEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 09:12 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 02:00 AM (IST)
राशन की दुकानों से संबंधित मामलों में LG से अधिकार लेना चाहती है 'आप' सरकार
राशन की दुकानों से संबंधित मामलों में LG से अधिकार लेना चाहती है 'आप' सरकार

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। राशन की दुकानों से संबंधित मामलों में दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के पास से अपील (सुनवाई) का अधिकार लेना चाहती है। सरकार ने यह अधिकार उपराज्यपाल की जगह वित्तीय आयुक्त को देने की सिफारिश की है। यानी जो सुनवाई उपराज्यपाल करते हैं, उसे वित्तीय आयुक्त करें। दिल्ली सरकार के निर्देश पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आयुक्त ने पिछले सप्ताह इस बारे में एक प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है।खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री, मुख्यमंत्री से होती हुई इस प्रस्ताव की फाइल स्वीकृति के लिए उपराज्यपाल सचिवालय तक जाएगी। उपराज्यपाल की अनुमति के बाद इस मामले में कार्रवाई हो सकेगी।

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न्याय जल्दी मिल सकेगा

पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार इस प्रस्ताव को सही मान रहे हैं। वह कहते हैं कि इस प्रक्रिया से न्याय जल्दी मिल सकेगा, लेकिन वह व्यवस्था से उपराज्यपाल को अलग करने को सही नहीं मानते। उनका कहना है कि उपराज्यपाल के पास भी अपील किए जाने का प्रावधान रहना चाहिए, क्योंकि यदि कोई वित्तीय आयुक्त के फैसले से संतुष्ट नहीं होता है तो वह उपराज्यपाल के पास अपील कर सके। वह कहते हैं कि दिल्ली को अपना कंट्रोल आर्डर बनाना चाहिए।

राशन की दुकानों पर अपील के अधिकार को लेकर उस समय उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच विवाद शुरू हुआ था, जब 13 अप्रैल 2016 को तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने अपील पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया था। उन्होंने सरकार द्वारा बुराड़ी क्षेत्र की निलंबित की गई दुकान को बहाल कर दिया था। मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि दुकान को निलंबित करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करें।

उपराज्यपाल पर भ्रष्टाचार के आरोप तक लगाए

बुराड़ी से 'आप' विधायक संजीव झा के खिलाफ भी जांच कर पुलिस कार्रवाई की बात कही थी। इस पर 'आप' सरकार ने उपराज्यपाल पर भ्रष्टाचार के आरोप तक लगाए थे। दिल्ली विधानसभा सत्र में भी एक दिन इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। सरकार ने तर्क दिया था कि दिल्ली में 2015 का कंट्रोल आर्डर लागू है, जबकि उपराज्यपाल ने 1981 के कंट्रोल आर्डर के तहत फैसला सुनाकर दुकान को बहाल कर दिया।

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क्या है नियम

खाद्य आपूर्ति विभाग कंट्रोल आर्डर के नियमों के तहत कार्य करता है। इसमें केंद्र सरकार का भी दखल होता है। केंद्र सरकार का आदेश है कि सभी राज्य अपने अपने लिए कंट्रोल आर्डर बनाएं। केंद्र के कंट्रोल आर्डर से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए, लेकिन राज्य इसमें अतिरिक्त प्रावधान जोड़ सकते हैं। दिल्ली सरकार ने 1981 के बाद से अपना कोई कंट्रोल आर्डर नहीं बनाया है।

कब-कब जारी हुए कंट्रोल आर्डर

भारत सरकार द्वारा 2001 में -पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम कंट्रोल आर्डर 2011 लागू किया गया।

2013 में-नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 लागू हुआ

2015 में-टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम कंट्रोल आर्डर 2015 लागू हुआ।

अभी उपराज्यपाल के पास क्या हैं अधिकार

राशन की दुकान के निरस्त किए गए लाइसेंस की प्रक्रिया यदि गलत साबित होती है तो उपराज्यपाल लाइसेंस बहाल कर सकते हैं। गलत तरीके से नई दुकान के लिए निरस्त किए गए आवेदन पर सुनवाई कर संबंधित दुकानों को लाइसेंस भी जारी कर सकते हैं। 


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