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Yearender 2020: आम आदमी पार्टी का दूसरे राज्‍यों में चुनाव लड़ने का फैसला और भाजपा में परिवर्तन रहा सबसे अहम

साल की समाप्ति से पहले आप ने दिल्ली के अलावा चार और राज्यों में चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इसमें उत्तर प्रदेश उत्तराखंड गोवा व पंजाब शामिल हैं। वहीं भाजपा ने भी अपने कई मोर्चे पर बदलाव कर पार्टी को मजबूती देने का काम किया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 01:10 PM (IST)
Yearender 2020: आम आदमी पार्टी का दूसरे राज्‍यों में चुनाव लड़ने का फैसला और भाजपा में परिवर्तन रहा सबसे अहम
सीएम केजरीवाल और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। साल की समाप्ति से पहले आप ने दिल्ली के अलावा चार और राज्यों में चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा व पंजाब शामिल हैं। 2022 तक चुनाव वाले इन राज्यों के लिए पार्टी ने सक्रियता बढ़ा दी है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता दौरा कर रहे हैं।

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महिला विंग को मजबूत किया

पार्टी ने महिला विंग को मजबूत किया। पार्टी की महिला नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी वही दिल्ली में महिला प्रभारी का भी पद भरा गया। यह जिम्मेदारी आप की पूर्व विधायक सरिता सिंह को दी गई। आगामी नगर निगम चुनाव में भी आप महिलाओं को अधिक जिम्मेदारी देने की रणनीति तैयार कर ही है।

भाजपा में बदलाव का दौर

विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा में संगठनात्मक बदलाव का दौर भी शुरू हो गया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद विजेंद्र गुप्ता की जगह इस बार रामवीर सिंह बिधूड़ी को मिला। वहीं, जून में मनोज तिवारी की जगह आदेश गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपी गई। वर्ष 2022 में होने वाले नगर निगम चुनाव को ध्यान में रखकर मंडल से लेकर जिलों में युवाओं को जिम्मेदारी दी गई है। नवंबर में प्रदेश प्रभारी पद से श्याम जाजू की भी विदाई हो गई। उनकी जगह बैजयंत पांडा को दिल्ली भाजपा का प्रभारी व डॉ. अलका गुर्जर को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। नेतृत्व परिवर्तन के बावजूद पार्टी में गुटबाजी हावी है। पिछले दिनों पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर और गांधी नगर के विधायक अनिल वाजपेयी के बीच मतभेद की खबरें चर्चा में रही।

दिल्ली के नेताओं को मिली जिम्मेदारी

राज्यसभा सदस्य दुष्यंत कुमार गौतम को पंजाब, उत्तराखंड और चंडीगढ़ का प्रभारी बनाया गया है। पूर्व विधायक पवन शर्मा को असम में सह प्रभारी और दिल्ली भाजपा के पूर्व महामंत्री आशीष सूद को जम्मू कश्मीर में सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है।

कांग्रेस के सामने जमीन बचाने की चुनौती

कांग्रेस की सियासी जमीन और खिसक गई। लगातार 15 वर्षों तक यहां की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस को दूसरी बार विधानसभा में एक भी सीट नसीब नहीं हुई। वोट फीसद भी पांच फीसद से नीचे चला गया। इससे पार्टी के सामने अपनी राजनीतिक जमीन बचाने की चुनौती है।

प्रदेश नेतृत्व में हुआ बदलाव

विधानसभा चुनाव हारने के बाद प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और प्रभारी पीसी चाको ने पद छोड़ दिया। लगभग एक माह तक अध्यक्ष की कुर्सी खाली रही। अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल बड़े नेताओं को नजरअंदाज करके पार्टी नेतृत्व ने पूर्व विधायक चौधरी अनिल कुमार को दिल्ली की कमान सौंपी है। पांच उपाध्यक्ष भी बनाए गए। राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल को दिल्ली प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। अध्यक्ष व प्रभारी के सामने सामने पूरी पार्टी को एकजुट करके जमीनी स्तर पर पार्टी का जनाधार बढ़ाने की जिम्मेदारी है, लेकिन पार्टी में आंतरिक गुटबाजी हावी है।

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