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संसद तक को बिजली देने की जिम्मेदारी, लेकिन NDMC के बिजली विभाग में खाली हैं बड़ी संख्या में पद

एनडीएमसी क्षेत्र में राष्ट्रपति और संसद भवन के सिवाय बड़ी संख्या में सांसद मंत्री और बड़े-बड़े नौकरशाह रहते हैं। ऐसे में एक मिनट के लिए भी बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है तो कर्मचारियों को वरिष्ठों की फटकार का भी सामना करना पड़ता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 11:59 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 11:59 AM (IST)
संसद तक को बिजली देने की जिम्मेदारी, लेकिन NDMC के बिजली विभाग में खाली हैं बड़ी संख्या में पद
एनडीएमसी की ओर से इन भवनों को बिजली की आपूर्ति की जाती है।

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। राष्ट्रीय राजधानी में बसे संसद भवन और राष्ट्रपति भवन को बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की है, पर हैरानी की बात है कि एनडीएमसी के बिजली विभाग के पास कर्मचारियों की भारी किल्लत है। आलम यह है कि ए श्रेणी में स्वीकृत 99 पदों में से 90 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह दूसरी श्रेणियों में भी बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं। इससे ज्यादा हैरानी की बात है कि पांच साल में केवल 31 पदों को भरने का प्रयास किया गया है।

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सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) 2005 के तहत यह जानकारी प्राप्त हुई है। आरटीआइ आवेदन में विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों से संबंधित जानकारी मांगी थी। एनडीएमसी के इलेक्टिक एस्टेब्लिशमेंट यूनिट-1 की ओर से जानकारी दी गई जानकारी में बताया है कि एनडीएमसी के इस विभाग में 1652 पद स्वीकृत हैं। इसमें 602 पदों पर स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। इसकी वजह से ये पद खाली पड़े हैं।

वहीं, स्थायी नियुक्ति न होने की वजह से अनुबंधित कर्मचारियों की नियुक्ति करनी पड़ रही है। ग श्रेणी में रिक्त 452 पदों में 120 पदों को अनुबंधित के माध्यम से भरा गया है। एनडीएमसी से जब यह सवाल पूछा गया कि इन पदों को भरने में पांच साल में दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसबी) से आग्रह किया गया है। तो एनडीएमसी ने बताया कि केवल 31 जूनियर इंजीनयर के पदों को भरने के लिए छह अक्टूबर 2020 को आवेदन भेजा था।

दरअसल, एनडीएमसी के पास संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और दूतावासों को बिजली उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है। एनडीएमसी की ओर से इन भवनों को बिजली की आपूर्ति की जाती है।

हालांकि भवनों के अंदर बिजली की आपूर्ति सुचारु रहे, इसका काम केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) देखता है। ऐसे में विभाग के पास पर्याप्त कर्मचारियों का न होना लुटियंस दिल्ली को स्मार्ट सिटी बनाने के सपने पर पानी फेर सकता है। एनडीएमसी क्षेत्र में राष्ट्रपति और संसद भवन के सिवाय बड़ी संख्या में सांसद, मंत्री और बड़े-बड़े नौकरशाह रहते हैं। ऐसे में एक मिनट के लिए भी बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है तो कर्मचारियों को वरिष्ठों की फटकार का भी सामना करना पड़ता है।


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