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एक साइकिल, 107 दिन, 10 राज्य, तीन टायर और पांच ट्यूब खराब कर युवक ने तय किया 7850 किलोमीटर का सफर, पढ़िए पूरी कहानी

धरोहर बचाने का संदेश- महाराष्ट्र से 10 राज्यों का सफर तय कर राजधानी पहुंचे सुनील। विश्व धरोहर को बचाने का संदेश लेकर महाराष्ट्र के 23 वर्षीय सुनील साहिब राव थौरात साइकिल पर सवार होकर अलग-अलग राज्यों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 02:42 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 10:10 AM (IST)
एक साइकिल, 107 दिन, 10 राज्य, तीन टायर और पांच ट्यूब खराब कर युवक ने तय किया 7850 किलोमीटर का सफर, पढ़िए पूरी कहानी
महाराष्ट्र से साइकिल पर सवार होकर दस राज्य होते हुए दिल्ली पहुंचे सुनील थोराट- ध्रुव कुमार
नई दिल्ली, [राहुल सिंह]। विश्व धरोहर को बचाने का संदेश लेकर महाराष्ट्र के 23 वर्षीय सुनील साहिब राव थौरात पिछले 107 दिन से साइकिल पर सवार होकर अलग-अलग राज्यों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वह 10 राज्यों से होते हुए 7,850 किलोमीटर का सफर तय कर बुधवार को दिल्ली पहुंचे। अब तक साइकिल के तीन टायर व पांच ट्यूब खराब हो चुके हैं।

सुनील अपने गांव देवडावा में आर्गेनिक खेती करते हैं। इसके अलावा औरंगाबाद स्थित पर्यटन स्थल पर गाइड बनकर लोगों को धरोहर से संबंधित इतिहास से रूबरू कराते हैं। उन्होंने बताया कि युवाओं की छोटी-छोटी बुरी आदतों से धरोहरें नष्ट व गंदी हो रही हैं।

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गुरु बने मार्गदर्शक

सुनील ने बताया कि उन्होंने धरोहर खराब होने की जानकारी अपने शिक्षक को दी, जिसके बाद उन्होंने 20 हजार रुपये की कीमत की साढ़े सात किलो वजन वाली साइकिल भी उपहार में दी।

कन्याकुमारी से लेकर लेह तक का करना है सफर

सुनील ने बताया कि दिल्ली उनका 10वां राज्य है। उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य से होते हुए यहां पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने कन्याकुमारी, सांची का स्तूप, बनारस के मंदिर, झांसी का किला, ताजमहल समेत कई धरोहर तक जा चुके हैं। अब आगे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, लेह और कारगिल जाना है।

हाथी के जंगल में लगा डर

सुनील ने बताया कि वह रात में 10 बजे तक साइकिल चलाते हैं। वह जब केरल से होकर गुजर रहे थे तो बीच रास्ते में करीब 100 किलोमीटर तक हाथी का जंगल मिला था, जिसमें उन्हें डर लगा। ऐसे में उन्होंने वन विभाग की मदद ली, जिसके बाद वह शहर में आए। वहीं, हैदराबाद में एक मानसिक तौर पर कमजोर व्यक्ति ने उनका गला दबा दिया था। वह अधिकतर रात आर्मी कैंप, पुलिस के थानों में रुके, जहां उन्हें सुरक्षा महसूस हुई।


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